अब 12वीं में जुडेंगे 9वीं 10वीं 11वीं के 60% अंक | मैट्रिक इंटर परीक्षा ऑनलाइन होगा

अब 12वीं में जुडेंगे 9वीं 10वीं 11वीं के 60% अंक | मैट्रिक इंटर परीक्षा ऑनलाइन होगा

अब 12वीं में जुडेंगे 9वीं 10वीं 11वीं के 60% अंक :-देश की शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव की तैयारी है। 12वीं की फाइनल रिपोर्ट में 9वीं, 10वीं और 11वीं के नतीजे भी जोड़े जा सकते हैं। शिक्षा मंत्रालय को सौंपी गई समतुल्यता रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई है। देश के सभी शिक्षा बोडों को समान स्तर लाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के आधार पर एनसीईआरटी में बनाई गई नई संस्था परख ने यह रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में सिफारिश है कि 9वीं के नतीजों को 15%, 10वीं को 20%, 11वीं को 25% व 12वीं को 40% वेटेज दिया जाए। सभी बोर्ड में समतुल्यता लाने के लिए परख ने यह रिपोर्ट बनाई है।

परख की सिफारिश है कि सभी बोर्ड पढ़ाए जा रहे हर विषय के लिए एक प्रश्नबैंक विकसित करें। इसके लिए एक ब्लूप्रिंट भी बनाया जाए ताकि बोर्ड से संबद्ध स्कूलों के शिक्षक ब्लूप्रिंट व क्वेश्चन बैंक के आधार पर प्रश्नपत्र बना सकें। हर ग्रेड के हर विषय व गतिविधि का क्रेडिट अंकों के रूप में मूल्यांकन हो। एक रिपोर्ट में उनकी हर गतिविधि, जिसमें समय प्रबंधन तक शामिल हो, के क्रेडिट अंक दिए जाएं। सामूहिक प्रोजेक्ट कार्य में छात्र का मूल्यांकन न केवल शिक्षक करें बल्कि साथियों की प्रतिक्रियाओं को भी शामिल किया जाए। करिकुलम के संदर्भ में बोडों को नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क का पालन करने की सिफारिश की गई है।

परख ने कहा, सभी बोर्ड संबद्धता के दिशानिर्देशों को सिफारिशों के मुताबिक ही अंतिम रूप दें….

  • स्कूल एक ही भूखंड में होना चाहिए। इसमें समूचा भवन व खेल का उचित मैदान भी हो। बोर्ड संबद्ध स्कूलों की समय-समय पर समीक्षा करता रहे और इन्हें अधिकतम 3 साल की अवधि के लिए संबद्धता या मान्यता दी जानी चाहिए।
  • कुछ प्रदेशों में शिक्षा निदेशालय स्कूलों को मान्यता व संबद्धता देता है, यह अधिकार स्कूल बोर्ड को मिलना चाहिए। बोर्ड परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए एक तंत्र विकसित करने की सिफारिश भी की गई है, परीक्षा के पेपर संभालने के लिए प्रोटोकॉल बनाया जाए। स्कूलों में न्यूनतम बुनियादी ढांचे के संदर्भ में सिफारिश की गई है।

परख ने अपनी सिफारिशों को लेकर देशभर के बोडों के साथ वर्कशॉप भी किए हैं। इसमें कुछ बोडों ने कहा है कि संयुक्त रिपोर्ट कार्ड का आइडिया अच्छा है, लेकिन इसे 9वीं से 12वीं तक एक न रखा जाए। बल्कि 10वीं और 12वीं के दो रिपोर्ट कार्ड बनें, जिसमें 10वीं के रिपोर्ट कार्ड में 9वीं को 40 फीसदी और 10वीं को 60 फीसदी वेटेज मिले। इसी तरह 12वीं की फाइनल रिपोर्ट कार्ड में 11वीं को 40 फीसदी और 12वीं को 60 फीसदी का वेटेज दिया जाए।

रिपोर्ट के मुताबिक, परख ही सभी बोर्ड्स में इन सिफारिशों को लागू किए जाने पर निगरानी रखेगा…

  • देश में सेंट्रल, स्टेट, ओपन स्कूल, मदरसा और संस्कृत बोर्ड मिलाकर कुल 69 शिक्षा बोर्ड हैं। ये करिकुलम, परीक्षा ढांचे व कार्यप्रणालियों के आधार पर एक दूसरे से अलग हैं, इस वजह से कुछ बोर्ड बेहतर माने जाते हैं।
  • परख से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि इस रिपोर्ट में की गई सिफारिशों का मकसद सिर्फ सभी बोडों के बीच एकरूपता लाना नहीं है बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि किसी भी बोर्ड से संबंद्ध स्कूलों में दाखिला लेने वाले हर छात्र को कुछ मानकीकृत और बेंचमार्क सुविधाएं हर हाल में मिलनी ही चाहिए।

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की परीक्षाएं ऑनलाइन होंगी। जाहिर है इसके दायरे में मैट्रिक-इंटर की परीक्षाएं भी होंगी। मंगलवार को विधानसभा में इस व्यवस्था के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (संशोधन) विधेयक 2024 पारित हुआ। शिक्षा मंत्री सुशील कुमार ने कहा कि इससे कदाचार रोकने में बड़ी मदद मिलेगी। एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल ईमान ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थी कंप्यूटर फ्रेंडली नहीं हो पाए हैं। ज्यादातर शिक्षक भी ऐसे ही हैं। इंटरनेट, सर्वर की समस्या है। बिहार के सिर्फ 30% लोग ही इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। सो, ऑनलाइन व्यवस्था बिल्कुल मुनासिब नहीं है। अख्तरुल की ये बातें ध्वनिमत से खारिज हुई।

सदन से पारित बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (संशोधन) विधेयक 2024 के अनुसार अब आयोग शिक्षा विभाग के सभी उच्चतर शिक्षण संस्थानों में भी शिक्षकों की नियुक्ति करेगा। अभी आयोग सिर्फ विश्वविद्यालयों के शिक्षकों की नियुक्ति करता है।

सदन से पारित बिहार नगरपालिका (संशोधन) विधेयक 2024 के अनुसार अब नगर निकायों के मुख्य व उप मुख्य पार्षद 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। इनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं आएगा। नगर विकास एवं आवास मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि इससे नगर निकायों में गुटबाजी रुकेगी, काम में गति आएगी। नगर निकाय, राज्य सरकार के नियमों पर विचार नहीं करेंगे; इसका प्रस्ताव सरकार को भेजेंगे।

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