मोबाइल में ये सेटिंग ऑन कर ले नहीं तो गायब हो जाएगा खाते से पैसा:-देश में बढ़ती साइबर धोखाधड़ी की घटनाए गभीर रूप अख्तियार कर चुकी है, आंकड़े बताते है कि इस वर्ष के पहले नौ महीनों में ही साइबर अपराधियों ने 11 हजार करोड से अधिक की ठगी की है. क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, एटीएम और इंटरनेट बैंकिग धोखाधड़ी के कारण विश वर्ष 2023-2024 में देश को 177 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. ऐसे में हमें कप्यूटर, जोबाइल, सोशल मीडिया का उपयोग या किसी भी प्रकार का डिजिटल लेनदेन करते समय पूरी सावधानी चरतने की जरूरत है. इस बार के इन दिनों में जानिए साइबर ठगी से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में…
साइबर धोखाधड़ी लुट रही गाड़ी कमाई
जिटल कम्युनिकेशन तकनीक के तेज विकास ने वैश्विक स्तर पर सूचनाओं के आदान-प्रदान को पुनरिभाषित किया है. पर इस तकनीकी प्रगति ने साइबर अपराध को बढ़ावा भी दिया है. भारत में एक और जहां तीव्र गति से डिजिटल विकास हो रहा है, वहीं दूसरी ओर डिजिटल ठगी गंभीर रूप लेती जा रही है. इंटरनेट का बढ़ता उपभोग, ऑनलाइन लेनदेन के बढ़ते दायरे और डिजिटल सुरक्षा को लेकर जागरूकता की कमी ने मानो साइवर अपराधियों के हौसले बुलंद कर दिये हैं.
इन कारणों से लोगों की गाड़ी कमाई जालसाजों द्वारा लूटी जा रही है. सच कहा जाए, तो साइबर धोखाधड़ी में हो रही वृद्धि ने देश के सामने एक नयी चुनौती पेश की है, जिससे अति शीघ्र निपटना अत्यंत आवश्यक है. धोखाधड़ी में वृद्धि से हर वर्ष लाखों-करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है. इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर (आइसी) की एक रिपोर्ट कहती है कि 2021 से 2022 के बीच साइबर अपराध में 113.7 प्रतिशत, जबकि 2022 से 2023 के बीच 60.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है.
क्या है साइबर धोखाधड़ी
साइबर या डिजिटल धोखाधड़ी साइबर अपराध के तरीके हैं. इसमें ऑनलाइन धोखाधड़ी, चोरी, जासूसी, वायरस भेज दूसरों के सिस्टम को हैक कर लेना आदि अपराध शामिल हैं. इस तरह के अपराध आम तौर पर कंप्यूटर सिस्टम, नेटवर्क और इंटरनेट से जुड़ी सुरक्षा को भेदने के लिए किया जाता है, ताकि उपयोगकर्ताओं को प्रभावित किया जा सके और उनकी गोपनीय जानकारी चुरायी जा सके और उसके बदले पैसों की मांग की जा सके.
वित्त वर्ष 2023-2024 में हुआ दोगुना नुकसान
इस वर्ष अगस्त में लोकसभा में एक लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने भारतीय रिजर्व बैंक के हवाले से बताया कि वित्त वर्ष 2023-2024 में क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, एटीएम और इंटरनेट बैंकिंग धोखाधड़ी के कारण देश को लगभग 177 करोड़ रुपये की हानि हुई है, जो 2022- 2023 की तुलना में दोगुने से अधिक है.
केडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, एटीएम और इंटरनेट बैंकिंग धोखाधड़ी के कारण होने वाले नुकसान का वर्षवार तुलनात्मक आंकड़ा
वित्त वर्ष | हानि (करोड़ रुपये में) |
2019-2020 | 44.22 |
2020-2021 | 50.01 |
2021-2022 | 80.33 |
2022-2023 | 69.68 |
2923-2024 | 177.05 |
4.5 लाख बैंक खाते फ्रिज किये गये
- सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (सीएफसीएफआरएमएस) के डाटा से पता चलता है कि 2024 में लगभग 12 लाख साइबर चोखाधड़ी की शिकायते प्राप्त हुई, जिनके 45 प्रतिशत मामलों को कंबोडिया, म्यांमार और लाओस जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में बैठे साइबर अपराधियों ने अंजाम दिया.
- सीएफसीएफआरएमएस की मानें, तो 2021 से उसे साइबर धोखाधड़ी की लगभग 30.5 लाख शिकायतें प्राप्त हुई है, जिस कारण 27,914 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है,
- वर्ष 2021 में जहां साइबर ठगी की 1.35.242 शिकायते दर्ज हुई, वहीं 2022 में यह बढ़कर 5,14,741 हो गयी और 2023 में यह 11,31,221 पर पहुंच गयी.
- धोखाधड़ी के मामलों के विश्लेषण से पता चला है कि चोरी की गयी धनराशि अक्सर चेक, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राएं (सीबीडीसी), फिनटेक क्रिप्टो प्लेटफॉर्म पटीएम, व्यापारिक भुगतान और ई-वॉलेट आदि का उपयोग कर निकाली जाती है.
- आइसी ने पिछले वर्ष में लगभग 4.5 लाख बैंक खाते फ्रीज किये है, जिनका उपयोग आमतौर पर साइबर ठगी से अर्जित आय को वैध बनाने के लिए किया जाता था,
- दूसरे देश में बैठे अपराधियों के नेटवर्क को ध्वस्त करने और भारत की डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने के लिए दूरसंचार मंत्रालय के सहयोग से आइबसी ने दक्षिण-पूर्व एशिया से संचालित साइबर अपराधियों से जुड़े 17,000 व्हाट्सएप खातों को भी ब्लॉक कर दिया है.
11 हजार करोड़ से अधिक की चपत
- 11,333 करोड रुपये की लगभग हानि हुई है भारत को 2024 के पहले नौ महीनों के दौरान, साइबर धोखाधड़ी के कारण, गृह मंत्रालय के विभाग भारतीय साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर (आइसी) के आंकड़ों के अनुसार.
- 4,636 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ देश को इस दौरान स्टॉक ट्रेडिंग घोटालों में और इसके लिए सर्वाधिक 2,28,094 शिकायतें दर्ज हुई.
- 3,216 करोड़ रुपये की हानि हुई है निवेश आधारित घोटालों के कारण भारत को. इस मामले में 10,0,360 शिकायते सामने आयीं.
- 1,616 करोड़ रुपये लूटे गये डिजिटल अरेस्ट के जरिये और इस मामले में 63,481 शिकायते प्राप्त हुई.
साइबर ठगी के नये तरीके से सावधान रहने की जरूरत
लो गों को ठगने के लिए साइबर अपराधी हर रोज नये तरीके विकसित कर रहे हैं. ऐसा ही एक नया तरीका है डिजिटल अरेस्ट का. इस तकनीक के जरिये अपराधी लोगों के भय का दौरान कर उनसे लाखों-करोड़ों रुपये किसरी अन्य खाते में ट्रांसफर करा रहे हैं. एक नजर डिजिटल अरेस्ट पर.
क्या है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट में कहीं और बैठे साइबर अपराधी फोन या वीडियो कॉल के माध्यम से लोगों को डराते-धमकाते हैं. वे खुद को पुलिस या दूसरी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बता पीड़ित को भयभीत करते हैं. उन्हें गिरफ्तारी का डर दिखाते हैं. यह सब कुछ पीड़ित को ठगने के लिए किया जाता है.
कुछ मामलों में तो पीड़ित को डिजिटल रूप से गिरफ्तार भी किया जाता है और जब तक वे पैसे नहीं दे देते, तब तक उन्हें डरा-धमकाकर वीडियो कॉल पर बने रहने के लिए बाध्य किया जाता है. इन दिनों इस तरह के कई मामले सामने आये हैं. दूसरे शब्दों में काय जाये, तो डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराध का एक नया तरीका है, जिसका उद्देश्य पैसों की ठगी है. इस तरह के अपराध दूसरे देशों में मौजूद साइबर अपराध गिरोह द्वारा किये जा रहे हैं.
इन तरीकों से लोगों को फंसाते हैं अपराधी
साइबर अपराध के इस नये तरीके में अपराधियों का तरीका पूर्व के तरीकों से एकदम अलग और हटकर है, जहां कुछ समय तक तो पीड़ित ठगों के नियंत्रण में रहता है और कुछ भी कर पाने में अपने आपको असहाय पाता है.
- पीड़ित को अपनी जाल में फंसाने के लिए साइबर ठग सबसे पहले एसएमएस, इमेल या व्हाट्सएप के जरिये मैसेज भेज उनसे संपर्क साधते हैं कि आपके नाम या फोन नंबर को आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाया गया है.
- इसके बाद अपराधी पीड़ित को ऑडियो या वीडियो कॉल करते हैं और अपने आपको सीबीआई, कस्टम, ईडी, नारकोटिक्स, टैक्स आरबीआई, ट्राई के अधिकारी बताते है.
- इसके बाद वे पीड़ित को डराते हैं कि उनके नाम का कोई कूरियर या पार्सल आया है, या पीड़ित ने वह पार्सल किसी दूसरे को भेजा है, जिसमे मादक पदार्थ, नकली पासपोर्ट, नकली पहचान पत्र, अवैध वस्तु, या प्रतिबंधित सामान है. अपराधी पीड़ित को अपने काबू में करने के लिए यह भी कहते हैं कि आपके खाते से ट्रांजेक्शन हुआ है और यह वित्तीय धौखाचड़ी का मामला बनता है.
- पीडित को अपने जाल में फंसा लेने के बाद धोखेबाज उसे एक ही जगह पर रहने के लिए मजबूर कर देते हैं. इस तरह के मामले में पीड़ित अक्सर अपने ही घर में कैद हो जाता है और ठगों की हर बात मानने लगता है. अपनी सारी निजी जानकारियां उनसे साझा करता है. यहां तक कि उसके बैंक खाते में कितने पैसे है यह भी.
- उसके बाद ठग मामले को बंद करने या समझौता करने के लिए पैसों की मांग करते है. ठगों का इतना खौफ होता है कि डिजिटली अरेस्ट व्यक्ति अपनी जमा पूंजी धोखेबाजों द्वारा बताये खाते में हस्तांतरित कर देता है. जब तक उसे कुछ समझ आता है, उसकी सारी कमाई लुट चुकी होती है.
- डिजिटल गिरफ्तारी में पीड़ित को यह भी बताया जा सकता है कि उसका कोई करीबी रिश्तेदार या दोस्त किसी अपराध में शामिल है और अब हिरासत में है. इस तरह की मनगढंत कहानियों के जरिये साइबर ठग पीड़ित से लाखों या करोड़ों की ठगी कर सकते हैं.
हुबहू सरकारी कार्यालय जैसा सेटअप
- साइबर ठग जिस स्थान से वीडियो कॉल करते है वह स्थान बिल्कुल पुलिस स्टेशन या सरकारी एजेंसी के कार्यालय जैसा होता है. यह सब कुछ पीड़ित को चकमा देने के लिए किया जाता है.
- कॉल करने वाला व्यक्ति पुलिस वा अन्य सरकारी अधिकारी की तरह यूनिफॉर्म में होता है, जो देखने में बिल्कुल असली लगता है,
- अपराधी जहां से कॉल करता है वहां बैकग्राउंड में पुलिस सायरन बज रहा होता है. इसके साथ ही वह अपनी फर्जी आइडी भी भेजता है, ताकि गिरफ्तारी वास्तविक लगे, पीडित को ठगों पर जरा सा भी शक न हो और वह भयभीत बना रहे.
ठगने के लिए इन हथकंडों का होता है इस्तेमाल
डिजिटल फ्रॉड का शिकार वही लोग होते हैं, जिनके पैन व आधार कार्ड समेत दूसरी गोपनीय जानकारियों को गलत तरीके से ठगों द्वारा एकत्र किया जाता है. इनके जरिये साइबर ठग पीड़ित से जुड़ी कई जानकारियों को जुटा लेते है. फिर उनके भय का दोहन कर फिरौती मांगते हैं. बैंक खाते में पैसे न होने पर ये लोन देने वाले एप्स के जरिये पीड़ित को लोन भी दिलवाते हैं.
सावधान रहें
QR codes स्कैनिंग व्दारा भुगतान करते समय सावधानी बरतें। ऑनलाइन लोन ऐप्स और शीघ्र जीतने वाली लॉटरी योजनाओं से सावधान रहें।
ऐसी पेशकश करने वाली लिंक से सावधान रहें
अनधिकृत डिजिटल ऋण देने वाले ऐप्स फर्जी लॉटरी योजनाएं
- QR codes का उपयोग करके भुगतान करते समय, स्क्रीन पर नाम की पुष्टि करें
- कभी भी अज्ञात स्रोतों से ऋण देने वाले ऐप्स डाउनलोड न करें
- अज्ञात संस्थाओं के साथ व्यक्तिगत या बैंक की जानकारी साझा न करें