सरकारी स्कूल में बच्चों को सिखाया जाएगा रोबोट और ड्रोन बनना:-भारत के सरकारी स्कूलों में अब शिक्षा का स्तर एक नए दौर में प्रवेश कर चुका है। देश के प्रत्येक जिले के दो-दो सरकारी विद्यालयों में अटल टिंकरिंग लैब (ATL) स्थापित की जा रही है, जहाँ बच्चों को रोबोटिक्स, ड्रोन टेक्नोलॉजी और आधुनिक नवाचार सिखाए जाएंगे।
इस पहल का उद्देश्य है कि सरकारी स्कूलों के बच्चे भी भविष्य की तकनीकों में महारत हासिल कर सकें और नई दुनिया की जरूरतों के अनुरूप कौशल विकसित कर सकें।
सरकारी-स्कूलों के बच्चे भी रोबोटिक्स पर करेंगे काम
सरकारी स्कूलों के बच्चे अब रोबोटिक्स और ड्रोन टेक्नोलॉजी जैसे आधुनिक विषयों में अपनी पकड़ मजबूत करेंगे। स्कूली शिक्षा के साथ ही भविष्य में उद्यमिता के लिए बच्चों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने की दिशा में यह कवायद की गई है। स्कूल के अटल टिंकरिंग लैब में बच्चे रोबोट निर्माण से लेकर ड्रोन बनाकर उसे उड़ाने तक की दक्षता हासिल करेंगे।
हर जिले के दो-दो विद्यालयों में अटल टिंकरिंग लैब स्थापित
पायलट चरण में राज्य के 38 जिलों के दो-दो माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अटल टिंकरिंग लैब की स्थापना की गई है। अधिकांश लैब में उपकरण उपलब्ध करा दिए गए हैं, जहां बच्चे जल्द ही रोबोटिक्स और ड्रोन टेक्नोलॉजी पर प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। केंद्र सरकार के बजटीय प्रावधानों के अनुरूप इस परियोजना की शुरुआत की गई है।
विज्ञान और कंप्यूटर के शिक्षकों को मिला प्रशिक्षण
इस पहल को सफल बनाने के लिए राज्यभर के 150 विज्ञान और कंप्यूटर शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है, जो बच्चों को नवीन तकनीकों में मार्गदर्शन देंगे। इस पहल से बच्चों में वैज्ञानिक सोच, रचनात्मकता और तकनीकी कौशल का विकास होगा। यह पहल थ्योरेटिकल ज्ञान को प्रैक्टिकल एप्लीकेशन में परिवर्तित करेगी व बच्चों को हैंड्स-ऑन लर्निंग का अनुभव प्रदान करेगी। बता दें कि नीदरलैंड की संस्था एआई फॉर ऑल ने शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया है।
लैब में बच्चे रोबोट निर्माण से लेकर ड्रोन उड़ाने तक की दक्षता हासिल करेंगे
अटल टिंकरिंग लैब में बच्चों को क्या सिखाया जाना है और किन गतिविधियों पर काम कराया जाएगा इसे लेकर शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। कई शिक्षकों ने रोबोटिक्स से जुड़े विभिन्न मॉडल भी तैयार किए हैं। लैब में मॉडल निर्माण की प्रक्रिया बच्चों के आइडिया डेवलपमेंट से शुरू होगी। छात्र स्याहने मी या रिक समस्याओं की पहचान करेंगे फिर उनके समाधान के लिए मॉडल और उपकरणों पर काम करेंगे। लैब में मॉडल तैयार करने के लिए सभी उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं।
अटल टिंकरिंग लैब में ये सामग्री होंगी उपलब्ध
- रोबोटिक्स किट
- सेंसर
- कंप्यूटिंग और प्रोग्रामिंग टूल्स
- ड्रोन डेवलपमेंट किट
- कंप्यूटर सिस्टम
- माइक्रोकंट्रोलर आदि
छात्र क्या-क्या सीख सकेंगे?
ATL लैब में बच्चे निम्न कौशल प्राप्त करेंगे—
- रोबोट का निर्माण
- ड्रोन असेंबल और उड़ाने की तकनीक
- सेंसर की कार्यप्रणाली
- छोटे-छोटे ऑटोमेशन प्रोजेक्ट
- मोटर, सर्किट और कंट्रोल सिस्टम
- कंप्यूटर आधारित प्रोग्रामिंग
- माइक्रोकंट्रोलर का उपयोग
इन गतिविधियों से बच्चों में वैज्ञानिक सोच, समस्या समाधान क्षमता और नवाचार की शक्ति विकसित होगी।
इस पहल के प्रमुख लाभ
- सरकारी स्कूलों के बच्चों को भी प्राइवेट स्कूलों जैसी आधुनिक शिक्षा
- रोजगार-उन्मुख स्किल डेवलपमेंट
- ग्रामीण प्रतिभाशाली छात्रों को नई ऊंचाई
- नवाचार संस्कृति को बढ़ावा
- भविष्य में स्टार्टअप और साइंस करियर में सफलता की संभावना
शिक्षकों को दी गई विशेष प्रशिक्षण
ATL लैब में बच्चों को बेहतर ढंग से सिखाने के लिए 150 विज्ञान एवं कंप्यूटर टीचर्स को विशेष ट्रेनिंग दी गई है।
इन शिक्षकों को—
- मशीनों के संचालन
- रोबोट एवं ड्रोन मॉडल बनाने
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग
- की विस्तृत कार्यशाला कराई गई है।
अटल टिंकरिंग लैब में उपलब्ध प्रमुख उपकरण
- रोबोटिक्स किट
- ड्रोन किट
- सेंसर सेट
- कंप्यूटर एवं प्रोग्रामिंग टूल
- इलेक्ट्रॉनिक टूल किट
- 3D मॉडलिंग किट
- माइक्रोकंट्रोलर
- कंट्रोल सिस्टम
इन सभी उपकरणों से बच्चे प्रैक्टिकल तरीके से सीख सकेंगे।
निष्कर्ष
भारत के सरकारी स्कूलों में टेक्नोलॉजी शिक्षा की यह पहल विद्यार्थियों के भविष्य को एक नया आयाम देगी।
अब सरकारी स्कूलों के बच्चे भी रोबोट बना सकेंगे, ड्रोन उड़ाना सीख सकेंगे और आधुनिक तकनीकों के विशेषज्ञ बन सकेंगे।
यह कदम आने वाले समय में करोड़ों बच्चों के जीवन में क्रांति लाने वाला साबित होगा।
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