एजुकेशन लोन की सम्पूर्ण जानकारी- आजकल हर भारतीय युवा की आंखें विदेशी धरती पर पढ़ाई के सपने देख रही हैं, लेकिन इस सपने को पूरा करने वाला एजुकेशन लोन जितना सीधा दिखता है, उतना है नहीं। क्या आप जानते हैं कि आपके लोन की किश्तें शुरू होने से पहले की ‘मोहलत’ (मोरेटोरियम) वाली अवधि, आपको लाखों का चूना लगा सकती है?
एजुकेशन लोन चुकाने के 3 तरीके… 15 लाख के लोन पर 3 लाख रु. बच सकते हैं
विशेषज्ञों का साफ कहना है कि 15 लाख रुपए के लोन पर, अगर आपने भुगतान का गलत तरीका चुना, तो आपको 3 लाख तक का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ सकता है सिर्फ इतना ही नहीं, लोन मंजूर करवाने के लिए बैंक आपके शैक्षणिक रिकॉर्ड और भविष्य की सैलरी तक को स्कैन करते हैं। जानिए कि लोन चुकाने के सही तरीके क्या हैं और आप 4 बड़ी गलतियों से कैसे बच सकते हैं
बैंक लोन देने से पहले क्या देखते हैं?
बैंक लोन देने से कई बातों पर बहुत जोर देते हैंः छात्र की पढ़ाई का रिकॉर्ड, कोर्स की गुणवत्ता व भविष्य में नौकरी मिलने की संभावना। भुगतान की क्षमता जरूरीः ‘सबसे अहम कारक’ छात्र की शैक्षणिक मजबूती, संस्थान की गुणवत्ता और ‘ग्रेजुएशन के बाद नौकरी मिलने की अनुमानित संभावनाएं हैं। ज्यादातर बैंक आरबीआई के मॉडल एजुकेशन लोन स्कीम का पालन करते हैं: दाखिला किसी ‘मान्यता प्राप्त कोर्स में होता है, तो विना कुछ गिरवी रखे भी लोन मंजूर होने की संभावना बढ़ जाती है।
लोन कैसे चुकाना पड़ता है?
लोन चुकाना मोरेटोरियम पीरियड खत्म होने के बाद शुरू होता है। यानी कोर्स का टाइम एक साल तक। इसके अलावा बैंक कई ऑप्शन भी देते हैं जैसे तुरंत ईएमआई से लेकर पूरा मोरेटोरियम तक। एक्सिस बैंक के प्रवक्ता ने उदाहरण देते हुए बताया 15 लाख का लोन, 10% ब्याज, 180 महीने का समय, 30 महीने का मोरेटोरियम।
तुरंत ईएमआई शुरू की तो कुल 31.6 लाख रुपए चुकाने पड़ेंगे। सिम्पल इंटरेस्ट वाला ऑप्शन लिया तो ₹30.08 लाख भरने पड़ेंगे। पूरा मोरेटोरियम लिया तो ब्याज चढ़ने की वजह से ₹32.91 लाख। बचत का मंत्रः एक अन्य उदाहरण के मुताबिक, 8 लाख के लोन पर मोहलत की अवधि में केवल ब्याज चुकाने से आपकी मासिक ईएमआई 13,215 से घटकर 10,572 हो जाती है और कुल ब्याज का बोझ 1.2 लाख तक कम हो जाता है।
बचत का मंत्र
एक अन्य उदाहरण के मुताबिक, 8 लाख के लोन पर मोहलत की अवधि में केवल ब्याज चुकाने से आपकी मासिक ईएमआई 13,215 से घटकर 10,572 हो जाती है और कुल ब्याज का बोझ 1.2 लाख तक कम हो जाता है।
ये गलतियां करने से बचें
देरी करनाः बैंकिंग एक्सपर्ट्स के अनुसार, सबसे बड़ी गलती यह है कि छात्र दाखिला पक्का होने तक इंतजार करते हैं। बैंक सलाह देते हैं कि दाखिले से पहले ही लोन के विकल्पों को टटोलना शुरू कर दें।
छिपे खर्चों को नजरअंदाज करनाः परिवार अक्सर ट्यूशन फीस के अलावा रहने-खाने, परीक्षा फीस जैसे खचों को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे बाद में पैसों की कमी आ जाती है।
कवरेज न जांचनाः आवेदन करते समय यह जरूर जांच लें कि बैंक 100% खर्च कवर कर रहा है या केवल 80-85%1
विदेश में पढ़ाई के छिपे हुए खर्च
विदेश में पढ़ने वाले छात्र अक्सर इन खचों का अनुमान नहीं लगा पाते
- वीजा शुल्क और इंश्योरेंस
- लैपटॉप/अन्य उपकरण का खर्च
- किराये की डिपॉजिट राशि
- वीजा-इंटरव्यू के लिए यात्रा खर्च
मुद्रा में उतार-चढ़ावः मुद्रा में बदलाव कुल, लागत को बढ़ा सकता है, खासकर जब आप कमजोर करेंसी से लोन, चुका रहे हों।
निवेश का नियम समझें: 10, 5, 3 से जान सकते हैं हैं कितना रिटर्न मिलेगा
जब हम निवेश करने या उसके बारे में सोचने लगते हैं, तो पहली चीज जो हम आमतौर पर देखते हैं, वह है हमारे निवेश पर मिलने वाली रिटर्न की दर। 10, 5, 3 नियम’ आपको यह जानने में मदद करता है कि आप अपने निवेश से औसतन कितना रिटर्न मिलने की उम्मीद कर सकते हैं। 10%: आपको लंबी अवधि के इक्विटी निवेशों से औसतन 10% रिटर्न की उम्मीद करनी चाहिए। 5%: डेट साधनों (जैसे बॉन्ड फंड या कुछ सुरक्षित निवेश विकल्प) से औसतन 5% रिटर्न की उम्मीद करनी चाहिए। 3%ः यह वह औसत रिटर्न दर है जो आमतौर पर आपको आपके सेविंग्स बैंक खातों से मिलती है।
अपना अधिकार जानें: आपकी हेल्थ पॉलिसी में है टीपीए बदलवाने का हक
हेल्थ इंश्योरेंस में थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (टीपीए) आपका क्लेम चेक करते हैं और कैशलेस अप्रूव करते हैं। लेकिन टीपीए वाले कुछ परेशानी खड़ी कर सकते हैं- ये दवा कवर नहीं है, ये टेस्ट जरूरी नहीं था, पैकेज में रेट पुराना है। कभी पूरा क्लेम रिजेक्ट कर देते हैं, कभी काटकर भेजते हैं। अस्पताल से झगड़ा करते हैं, उसे ब्लैकलिस्ट करते हैं। यदि आपके साथ भी ऐसा हो तो सीधे इंश्योरेंस ओम्बड्समैन के पास जाएं। यहां 30-90 दिन में फैसला आता है और 90% मामलों में राहत मिलती है। नियम है कि यदि 30 दिन में क्लेम सेटल नहीं हुआ तो इंश्योरेंस कंपनी को ब्याज देना पड़ेगा। आपको पॉलिसी में टीपीए बदलवाने का भी अधिकार होता है।
जारी हुआ फैक्ट चेक: आरबीआई के फर्जी वॉइस मेल से सतर्क रहें
कि ठगी करने वाले लोगों को वॉइसमेल सरकार की फैक्ट चेक यूनिट ने बताया भेज रहे हैं, और खुद को आरबीआई का अधिकारी बता रहे हैं। ये लोगों को डराते हैं कि आपका अकाउंट या कार्ड ब्लॉक हो जाएगा। सरकारी की फैक्ट चेक एजेंसी पीआईबी फैक्ट चेक ने लोगों से कहा है कि बिना मांगे आए कॉल या वॉइसमेल पर भूलकर भी तुरंत रिएक्ट न करें, खासकर जब बैंक अकाउंट में तुरंत कुछ करने को बोला जाए। अगर कुछ शक हो तो तुरंत ऑफिशियल चैनल पर रिपोर्ट करें। पीआईबी फैक्ट चेक टीम से संपर्क कर सकते हैं। पीआईबी फैक्ट चेक टीम का व्हाट्सऐप नंबर +9187997 11259 और ईमेल factcheck@pib.gov.in है।
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