मानव नेत्र किसे कहते हैं??
मानव नेत्र प्रकाश का उपयोग करता है तथा हमारे चारों ओर की वस्तुओं को देखने के लिए हमें समर्थ बनाता है।
- मानव नेत्र एक कैमरे की भाँति है।
- नेत्र गोलक की आकृति लगभग गोलाकार होती है तथा इसका व्यास लगभग 2.3 cm है।
- रेटिना — यह एक कोमल सूक्ष्म होती है जिसमें वृहद् संख्या में प्रकाश सुग्राही कोशिकाएँ होती हैं। इसे दृष्टिपटल भी कहते हैं ।
- कॉर्निया या स्वच्छ मंडल – यह झिल्ली नेत्र गोलक के अग्र पृष्ठ पर एक पारदर्शी उभार बनती है और प्रकाश इसके रास्ते नेत्र में प्रवेश करता है ।
- परितारिका — परितारिका गहरा पेशीय डायफ्राम होता है जो पुतली के साइज को नियंत्रित करता है।
- पुतली – पुतली नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करती है।
- अभिनेत्र लेंस — रेटिना पर किसी वस्तु का उल्टा तथा वास्तविक प्रतिबिंब बनाता है।
- प्रदीप्ति होने पर प्रकाश सुग्राही कोशिकाएँ सक्रिय हो जाती हैं तथा विद्युत सिग्नल उत्पन्न करती हैं। ये सिग्नल दृक् तंत्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क तक पहुँचा दिए जाते हैं। मस्तिष्क इन सिग्नलों की व्याख्या करता है तथा अंततः इस सूचना को संसाधित करता है जिससे कि हम किसी वस्तु को जैसा है, वैसा ही देख पाते हैं।
समंजन किसे कहते हैं??
अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर लेता है, समंजन कहलाती है।
पक्ष्माभी पेशियों क्या है??
पक्ष्माभी पेशियों के शिथिल होने पर लेंस पतला हो जाता है व फोकस दूरी बढ़ जाती है और हम दूर की वस्तुओं को स्पष्ट देखने में समर्थ हो पाते हैं।
जब हम निकट की वस्तु को देखते हैं तब पक्षमाभी पेशियाँ सिकुड़ जाती हैं और लेंस मोटा हो जाता है तथा इसकी फोकस दूरी घट जाती है।
निकट बिंदु किसे कहते हैं??
वह न्यूनतम दूरी जिस पर रखी कोई वस्तु बिना किसी तनाव के अत्यधिक स्पष्ट देखी जा सकती है, उसे सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी कहते हैं। इसे नेत्र का निकट बिंदु भी कहते हैं। किसी सामान्य दृष्टि के तरुण वयस्क के लिए निकट बिंदु की आँख
से दूरी लगभग 25 cm होती है।
दूर बिंदु किसे कहते हैं??
वह दूरतम बिंदु जिस तक कोई नेत्र वस्तुओं को सुस्पष्ट देख सकता है, नेत्र का दूर बिंदु कहलाता है। सामान्य नेत्र के लिए यह अनंत दूरी पर होता है।
मोतियाबिंद क्या है??
कभी-कभी अधिक आयु के कुछ व्यक्तियों को नेत्र का क्रिस्टलीय लेंस दूधिया तथा धुंधला हो जाता है। इस स्थिति को मेतियाबिंद कहते हैं। इसके कारण नेत्र की दृष्टि में कमी या पूर्ण रूप से दृष्टि क्षय हो जाता है। मोतियाबिंद की शल्य चिकित्सा के बाद दृष्टि का वापस लौटना संभव होता है।
निकट दृष्टि दोष (Near sightedness)—
- निकट दृष्टि दोषयुक्त कोई व्यक्ति निकट रखी वस्तुाओं को तो स्पष्ट देख सकता है परंतु दूर रखी वस्तुओं को वह सुस्पष्ट नहीं देख पाता है। अर्थात दूर बिंदु अनंत पर न होकर नेत्र के पास आ जाता है।
- दूर रखी वस्तु का प्रतिबिंब दृष्टिपटल पर न बनकर दृष्टिपटल के सामने बनता है।
- कारण – ● अभिनेत्र लेंस की वक्रता का अत्यधिक होना ( फोकस दूरी घट जाना)
- नेत्र गोलक का लंबा हो जाना।
- इस दोष को किसी उपयुक्त क्षमता के अवतल लेंस के उपयोग द्वारा संशोधित किया जा सकता है।
दूर- दृष्टि दोष (Far-sightedness)—
- दूर – दृष्टि दोषयुक्त कोई व्यक्ति दूर की वस्तुओं को तो स्पष्ट देख सकता है, परंतु निकट रखी वस्तुओं को वह स्पष्ट नहीं देख पाता। अर्थात निकट बिंदु सामान्य से दूर हट जाता है।
- पास रखी वस्तु से आने वाली प्रकाश किरणें दृष्टिपटल के पीछे फोकसित होती है।
- कारण- अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी का अत्यधिक हो जाना ।
- नेत्र गोलक का छोटा हो जाना।
- इस दोष को उपयुक्त क्षमता के अभिसारी (उत्तल) लेंस के उपयोग द्वारा संशोधित किया जा सकता है
जरा दूरदृष्टिता क्या है??
- आयु में वृद्धि होने के साथ-साथ मानव नेत्र की समंजन – क्षमता घट जाती है और निकट बिंदु दूर हट जाता है। अतः उन्हें पास की वस्तुएँ देखने में कठिनाई होती|
- यह पक्ष्माभी पेशियों के धीरे-धीरे दुर्बल होने तथा किस्टलीय लेंस के लचीलेपन में कमी आने के कारण उत्पन्न होता है।
- कभी-कभी किसी व्यक्ति के नेत्र में दोनों ही प्रकार के दोष (निकट दृष्टि तथा दूर-दृष्टि दोष) हो सकते हैं। ऐसे व्यक्तियों को द्विफोकसी लेंस की आवश्यकता होती है।
प्रिज्म कोण किसे कहते हैं??
प्रिज्म के दो पार्श्व फलकों के बीच के कोण को प्रिज्म कोण कहते हैं।
विचलन कोण किसे कहते हैं??
प्रिज्म की विशेष आकृति के कारण निर्गत किरण, आपतित किरण की दिशा में एक कोण बनाती है। इस कोण को विचलन कोण कहते हैं। आगे चित्र में ZD विचलन कोण है।
वर्ण विक्षेपण क्या है??
प्रिज्म आपतित श्वेत प्रकाश को सात रंगों N'(वर्णों) की पट्टी में विभक्त कर देता है। वर्णों का क्रम इस प्रकार है – बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी तथा लाल (VIBGYOR).प्रिज्म के अवयवी वर्णों में विभाजन को निक्षेपण कहते हैं।
स्पेक्ट्रम क्या है??
प्रकाश के अवयवी वर्णों के बैंड को स्पेक्ट्रम कहते हैं।
श्वेत प्रकाश
— कोई भी प्रकाश जो सूर्य के प्रकाश को सदृश स्पेक्ट्रम बनाता है, प्रायः श्वेत प्रकाश कहलाता है ।
इंद्रधनुष – इंद्रधनुष, वर्षा के पश्चात आकाश में, जल के सूक्ष्म कणों में दिखाई देने वाला प्राकृतिक स्पेक्ट्रम है। यह वायुमंडल में उपस्थित जल की सूक्ष्म बूँदों द्वारा सूर्य के प्रकाश के परिक्षेपण के कारण प्राप्त होता है।
वायुमंडलीय अपवर्तन – वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण हमें —
(i) तारे टिमटिमाते हुए दिखाई देते हैं।
(ii) सूर्य हमें वास्तविक सूर्योदय से लगभग 2 मिनट पूर्व दिखाई देने लगता है तथा वास्तविक सूर्यास्त से 2 मिनट बाद तक दिखाई देता है।
(iii) भट्टी अथवा आग के ऊपर उठती गरम वायु के विक्षुब्ध प्रवाह में धूल के कणों की झिलमिलाहट दिखाई पड़ती है।
प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण–आकाश का रंग नीला तथा सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ दिखाई देता है
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