जेन-जी क्या है? जानिए पूरी डिटेल्स | देखिए कहीं आप भी जेन-जी तो नहीं?:-नेपाल, जो हिमालय की गोद में बसा एक छोटा लेकिन रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण देश है, पिछले कुछ वर्षों से लगातार राजनीतिक अस्थिरता और विवादों का सामना कर रहा है। हाल ही में जो विवाद सामने आया, उसके पीछे कई ऐतिहासिक और तात्कालिक कारण जुड़े हुए हैं। आइए समझते हैं इसका पूरा बैकग्राउंड –
हालिया विवाद की जड़
नेपाल की राजनीति मुख्य रूप से बड़े दलों नेकपा (माओवादी/कम्युनिस्ट पार्टी) और नेपाली कांग्रेस के इर्द-गिर्द घूमती है। सत्ता में बने रहने के लिए नेता लगातार गठबंधन बदलते हैं।
- प्रधानमंत्री बनने की होड़ में नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहते हैं।
- संसद में बहुमत साबित करना हमेशा चुनौती बना रहता है।
- बार-बार सरकार गिरती और नई सरकार बनती है, जिससे अस्थिरता और गहरी होती है।
विवाद कैसे शुरू हुआ?
हालिया विवाद की मुख्य वजहें:
- सत्ता में बने रहने की जंग – प्रधानमंत्री और विपक्षी दल के बीच गठबंधन टूटना।
- संविधान और कानून की व्याख्या – राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की शक्तियों को लेकर बार-बार विवाद।
- दल-बदल – सांसदों का एक दल छोड़कर दूसरे में जाना।
- जनता की नाराज़गी – बेरोज़गारी, महंगाई और विकास कार्यों की धीमी रफ्तार से जनता में असंतोष।
आईए जानते हैं नेपाल के कैसे राजनीतिक में क्या हुआ
बच्चो, मैं बताता हूं आखिर किसे कहते हैं जेन-जी…
नेपाल में जेन-जी द्वारा तख्तापलट की खबरों को सुनकर हितार्थी के मन में कई सवाल उठते हैं। अब दादाजी उनके जवाब दे रहे हैं…
- हितार्थी- दादाजी, ये जेन-जी क्या होता है?
- दादाजी बच्चे, जैसे तुम कक्षा-4 में पढ़ती हो तो तुम और तुम्हारे सभी क्लासमेट्स कक्षा-4 के स्टूडेंट्स कहलाते हैं। उसी तरह जेन-जी एक निश्चित साल के बीच जन्मे लोगों का समूह है। इसका पूरा नाम जेनरेशन जी (2) है।
- हितार्थी- ये जेनरेशन क्या होती है दादाजी ?
- दादाजी जनरेशन एक निश्चित समय अंतराल में पैदा हुए लोगों का समूह होती है। इन्हें आमतौर पर 20 साल के अंतराल में बांटा जाता है।
- हितार्थी- कितनी उम्र तक के लोगों को जेन-जी कहा जाता है, दादाजी ?
- दादाजी आमतौर पर 1997-2012 के बीच जन्मे लोगों को जेन-जी कहा जाता है।
- हितार्थी- दादाजी, मेरा जन्म तो 2012 के बाद हुआ है तो मैं किस जनरेशन की हुई?
- दादाजी- बच्चे, 2013-24 के बीच जन्मे बच्चों को जेन-अल्फा कहा जाता है।
- हितार्थी क्या जेन-जी और जेन-अल्फा के अलावा भी कोई जनरेशन होती है?
- दादाजी हां बच्चे बिल्कुल होती है। जैसे कि
- ग्रेटेस्ट जेनरेशन – इसमें 1901-27 के बीच जन्मे हुए लोगों को शामिल किया गया है।
- साइलेंट जेनरेशन- इसके तहत 1928-45 के बीच जन्म लेने वालों को शामिल किया गया है।
- बेबी बूमर्स- इस पीढ़ी में 1946-64 के बीच जन्म लेने वाले लोगों को शामिल किया गया है।
- जेन एक्स- इसके अंतर्गत 1965-80 के बीच जन्म लेने वाले लोगों को शामिल किया गया है।
- मिलेनियल्स या जेन वाई- इसमें 1981-96 के बीच जन्मे लोगों को शामिल किया गया है।
- हितार्थी- पीढ़ियों को जेनरेशन में क्यों बांटा ?
- दादाजी निश्चित समय काल में जन्मे लोग कई मामलों में समान व्यवहार करते हैं। इसलिए जेनरेशन की अवधारणा लाई गई, ताकि लोगों के बड़े वर्ग को संबोधित किया जा सके।
दादाजी के व्यूज
बच्चो ! 1946 के बाद अचानक बहुत सारे बच्चे पैदा हुए थे, इसलिए उस जनरेशन का नाम बेबी बूमर्स पड़ गया। वहीं ग्रेटेस्ट जेनरेशन वालों ने विश्वयुद्ध और महामंदी का दौर देखा है। जेनरेशन एक्स में X का मतलब अज्ञात था, दरअसल उस समय समाज तेजी से बदल रहा था।
मिलेनियल्स या जेन वाई 2000 यानी नए मिलेनियम के आसपास बड़े हुए,
इसलिए इनको ये नाम मिला। जेन-जी को जी कहा गया क्योंकि Y के बाद 2 आता है। जेन-जी पूरी तरह डिजिटल दौर देखने वाली पहली पीढ़ी है। जेन अल्फा को अल्फा इसलिए कहा क्योंकि ये नई शुरुआत है, जैसे अंग्रेजी में ‘ए’ से होती है।
जेन-जी: पैसा-पेशा नहीं, स्वास्थ्य और रिश्ते हैं सफलता का पैमाना
नेपाल क्रांति के बाद जेन-जी चर्चा में है। 1997-2012 में जन्मी यह पहली पीढ़ी है, जो इंटरनेट और स्मार्टफोन के साथ बड़ी हुई। इनके लिए सफलता का पैमाना पैसा और करियर नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और रिश्ते हैं। करियर के लिए वेलबीइंग कुर्बान नहीं करते। भारत में जेन जी की आबादी 38 करोड़ है। ग्लोबल वर्कफोर्स में 27% हिस्सेदारी है, जो 2030 तक 33% होगी। आइए, समझते हैं कैसे जेन-जी चेंजमेकर हैं।
नजरियाः अध्यात्म से ज्यादा जरूरतमंदों की मदद को तवज्जो
पहले पैसा, प्रतिष्ठा और पेशा ही सफलता का पैमाना माने जाते थे। लेकिन, नई पीढ़ी ऐसा नहीं सोचती है।
- 51% ने शारीरिक/मानसिक स्वास्थ्य को सफलता का सबसे बड़ा पैमाना बताया। पूरी दुनिया में यही नंबर 1 रहा है।
- 46% युवा भारत में भी स्वास्थ्य को सफलता मानते ह|
- 33% चिंता/डिप्रेशन महसूस करते हैं, तभी स्वास्थ्य चिंताएं हाशिये से केंद्र में आई
लाइफः बेचैनी बहुत, 8 सेकंड से ज्यादा फोकस नहीं रहता
जेन-जी का अटेंशन स्पैन कम है। पर वे स्मार्टफोन, सोशल मीडिया व एआई से सबसे गहराई से जुड़े हैं।
- सेकंड जेन-जी
- सेकंड मिलेनियल्स का अटेंशन स्पैन
- 94% रोज सोशल मीडिया पर
- 99% के पास स्मार्टफोन
- 75% स्क्रीन टाइम पर नजर
- 57% एआई का प्रयोग करते
करियरः 79% युवा कोई नई स्किल सीखने की सोच रहे हैं
करियर में लंबे लक्ष्य देखते हैं। लगातार नई चीजें सीखने की ललक। नौकरी बदलने की दर सबसे तेज।
- 47% नौकरी छोड़ने की सोच रहे
- 61% की तवज्जो निजी समय ही रहती है
- 79% नई स्किल्स सीखने की सोच रहे हैं
- 57% जॉब में रिजेक्शन झेल रहे
पैसा: 61% को वित्तीय बेचैनी… 72% सुधार की कोशिश में
जेन-जी पहली पीढ़ी है, जो महंगाई, एजुकेशन लोन और अनिश्चित नौकरियों के दौर में बड़ी हुई। असुरक्षा भाव ज्यादा है।
- 48% वित्तीय रूप से असुरक्षित मान रहे हैं
- 45% मासिक खर्चे मुश्किल से चला पाते हैं
- 61% युवा वित्तीय एंग्जायटी से जूझ रहे हैं
- 72% फाइनेंशियल हेल्थ सुधारने में लगे हैं
- 21% ने पिछले साल स्टॉक मार्केट में निवेश किया
- इमरजेंसी फंड के लिए बचत करने लगे हैं
निष्कर्ष
नेपाल का यह विवाद अचानक नहीं है, बल्कि लंबे समय से चली आ रही अस्थिरता, सत्ता संघर्ष और बाहरी दबाव का परिणाम है। यह तभी खत्म हो सकता है जब नेपाल के नेता जनता के हितों को प्राथमिकता दें और स्थिर शासन की ओर कदम बढ़ाएँ।
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