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बस इन बातों को जीवन में अपना लो | कम उम्र में करोड़पति बनने से कोई नहीं रोक सकता

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By arcarrierpoint

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बस इन बातों को जीवन में अपना लो | कम उम्र में करोड़पति बनने से कोई नहीं रोक सकता

बस इन बातों को जीवन में अपना लो | कम उम्र में करोड़पति बनने से कोई नहीं रोक सकता:-

विकृत विचारों के पैटर्न मन में किसी मालवेयर (हानिकारक सॉफ्टवेयर) की तरह ही होते हैं। जितना अधिक हम इन्हें पोषित करते हैं, उतना ही ये गहरी जड़ें जमा लेते हैं। किंतु शुभ समाचार यह है कि हम सजग चिंतन के माध्यम से अपने मन पर पुनः नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं।

वास्तव में हमारा मन अत्यधिक लचीला और परिवर्तनशील होता है। थोड़ी जागरूकता और अभ्यास से हम विनाशकारी चिंता से सशक्त चिंतन की ओर बढ़ सकते हैं- चिंता से बुद्धिमत्तापूर्ण चिंतन की ओर।

सजग चिंतन वह कला है, जिसमें हम परिस्थितियों पर स्वचालित रूप से प्रतिक्रिया करने के बजाय अपने विचारों को सचेत रूप से चुनते हैं।

हम शुरुआत कर सकते हैं अपने विचारों का निरीक्षण करके। क्या वे समाधान-उन्मुख हैं या भावनात्मक तौर पर बार-बार दोहराए जा रहे हैं? क्या वे उन्नतिशील हैं या भय का रूप हैं?

एक बार जब आप इसके प्रति जागरूक हो जाएं तो सचेत रूप से स्वयं को वांछनीय विचारों पर केंद्रित करके अपने विचारों की प्रकृति को बदलें। निरंतर प्रयास से, आप धीरे-धीरे अनुभव करेंगे कि आपका मन अधिक सहज, स्फूर्तिवान और अनुशासित हो रहा है।

‘मोह सकल व्याधिन्ह कर मूला।’ (रामचरितमानस) अर्थात्, ‘हमारे सभी दुःखों और मानसिक अशांति का मूल कारण मोह (अज्ञानता) है।’

इसलिए, अपने मन को कल्याणकारी ज्ञान से पोषित करें, विषाक्त सामग्रियों से दूरी बनाएं, और अपने आप को सकारात्मक प्रभावों से घेरें। क्योंकि हमारा मन जो ग्रहण करता है, उसका सीधा असर हमारी सोच पर पड़ता है।

इसके अतिरिक्त प्रतिदिन आध्यात्मिक ज्ञान का मनन, ध्यान और शारीरिक व्यायाम करने से भी अत्यधिक सोचने की प्रवृत्ति को शांत किया जा सकता है।

संतों ने भी अपने चिंतन को नियंत्रित करके महान आध्यात्मिक ऊंचाइयों को प्राप्त किया था। उन्होंने अपने विचारों को विघटनकारी विषयों से बचाकर परमात्मा में पूर्ण रूप से लीन किया और मानव चेतना के उत्थान में अपार योगदान दिया। वास्तव में, हमारा उद्धार भी हमारे विचारों की दिशा को नियंत्रित करने और उन्हें उच्चतम स्तर पर ले जाने में ही निहित है।

दिशाहीन विचारों के भंवर में न फंस जाएं।
अंततः आपके विचार ही आपके लिए बंधन बन सकते हैं या फिर मुक्ति। जीवन में लंबी दूरी तय करने के लिए सकारात्मकता विचारों का पाथेय अपने पास रखें!

एक छात्र ने शिक्षक से पूछा कि जीवन में सबसे अच्छे का चयन कैसे करें? शिक्षक ने कहा, पहले एक काम करो। किसी गेहूं के खेत में जाओ और सबसे अच्छा गेहूं का दाना चुनकर लौट आओ। लेकिन शर्त यह है कि तुम ऐसा एक बार ही कर सकते हो और वापस लौटकर कोई नया दाना नहीं चुन सकते।

छात्र खेत में गया। उसने एक बड़ा-सा गेहूं का दाना देखा, जो उसे तुरंत पसंद आ गया। लेकिन उसने सोचा कि शायद आगे कोई और अच्छा गेहूं का दाना हो। फिर उसने एक और बड़ा दाना देखा तो सोचा शायद आगे इससे भी अच्छा हो। लेकिन बाद में उसे एहसास हुआ कि सबसे अच्छे गेहूं को वह पीछे ही छोड़ आया है। वह निराश होकर खाली हाथ लौट आया।

तब शिक्षक ने उससे कहा कि जब हम बेहतर की तलाश करते हैं और अच्छे को छोड़ देते हैं तो बाद में हमें एहसास होता है कि हम उसे भी चूक गए, जो हमारे पास है।

बुद्धिमानी से चुनाव करें, अन्यथा जीवन और बेहतर की मृगतृष्णा में भटकता रह जाएगा।

पंजाब के प्रसिद्ध संत शेख फरीद का कथन है-‘सरवर पंखी हेकड़ो, फाहीवाल पचास’। इसका शाब्दिक अर्थ तो यह है कि सरोवर में पक्षी एक है और फंसाने के जाल पचास हैं। लेकिन फरीद यहां पक्षियों की बात नहीं कर रहे हैं, उनका इशारा कुछ और है। वो आध्यात्मिक अर्थों में जाल शब्द का उपयोग कर रहे हैं। धन का जाल, पद का जाल, यश का जाल, कामनाओं, आसक्तियों, लोभ, क्रोध, मोह के जाल! और फंसने वाला केवल एक पक्षी है, वह है मनुष्य की चेतना। ऐसे में जो बहुत सजग है, वही इन सब से बच पाएगा।

आज हमारा मन अनेक प्रकार के डिस्ट्रैक्शंस से घिरा है, जिसके कारण हम एकाग्रचित्त नहीं हो पाते और जीवन-लक्ष्य पर केंद्रित नहीं हो पाते। फरीद कहते हैं कि एक बार जाल के रहस्य को समझ लिया तो उससे बचने की युक्ति भी मिल जाती है।

क्रिस्टियानो रोनाल्डो (40) आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है। फिलहाल वे चर्चा में हैं, क्योंकि फोर्ब्स ने दुनिया के हाईएस्ट पेड एथलीट की सूची में उन्हें पहला स्थान दिया है। रोनाल्डो ने यहां तक पहुंचने के लिए कई कठिनाइयों का सामना किया है। जानते हैं उनकी संघर्ष से सफलता की कहानी….

रोनाल्डो का बचपन गरीबी में बीता। पिता माली थे और स्थानीय फुटबॉल क्लब में पार्ट टाइम किट मैन का काम करते थे। मां रसोइया और क्लीनर थीं। परिवार टिन की छत वाले घर में रहता था। पिता को शराब की लत थी, जिस वजह से रोनाल्डो उनसे खुलकर बात नहीं कर पाते थे। रोनाल्डो बचपन में काफी पतले थे, जिस वजह से उन्हें बुली किया जाता था।

खराब आर्थिक हालात की वजह से रोनाल्डो को कई बार रात के वक्त पेट भरने के लिए मैकडॉनल्ड्स जाना पड़ता था, वे वहां उनसे बचे हुए बर्गर मांग कर खाया करते थे। उन्हें 14 साल की उम्र में स्कूल से निकाल दिया गया था। इसके बाद उनकी मां ने उन्हें फुटबॉल की ओर मोड़ दिया। और कम समय में ही वे अंडर-17 टीम के लिए चुने गए।

2000 में रोनाल्डो का करियर संकट में आ गया था। उनके हार्ट के फेल होने का खतरा था। लगने लगा था कि शायद ही वे आगे खेल पाएं। लेकिन रोनाल्डो ने वापसी की। 2014 में उन्हें घुटने की बीमारी हो गई थी। लगातार फुटबॉल खेलने से ये गंभीर हो सकती थी। लेकिन वे मैदान पर डटे रहे। उन्होंने कई रिकॉर्ड बनाए। 2022 में उनके नवजात बेटे की मौत हो गई थी। ये समय उनके जीवन के सबसे कठिन दौर में से एक था।

रोनाल्डो के नाम सबसे ज्यादा 136 अंतरराष्ट्रीय गोल हैं। उनके नाम 4 बैलन डी’ओर अवॉर्ड भी हैं। साथ ही वे 5 बार गोल्डन बूट अवॉर्ड जीत चुके हैं। 2020 में वे टीम स्पोर्ट में 1 अरब डॉलर कमाई करने वाले पहले सक्रिय एथलीट बने थे। रोनाल्डो के पास नाइकी का आजीवन अनुबंध है। सोशल मीडिया पर उनके 93.3 करोड़ फॉलोअर्स हैं। उनकी नेटवर्थ करीबन 22.962 करोड़ रुपए है।

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यह वेबसाइट Sumit Sir के निर्देशन में संचालित है। इस बेवसाइट पर सही और सटीक जानकारी सबसे पहले उपलब्ध कराया जाता है। सुमित सर के पास पिछले पांच साल से ऑनलाइन और ऑफलाइन पढाने का अनुभव है। धन्यवाद।

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