बिहार के सरकारी स्कूल में नामांकन की प्रक्रिया में बदलाव- जल्दी देखें:- समर कैंप से खुलासा 12 लाख कमजोर छात्र चिह्नित, 5वीं और 6ठी के छात्र पैराग्राफ पढ़ने व बोलने में असमर्थ
सरकारी स्कूलों में एक बच्चे पर खर्च 6 हजार… पर उन्हें जोड़-घटाव भी नहीं आता
बिहार सरकार हर महीने सरकारी स्कूल के एक छात्र पर औसतन 6000 रुपए खर्च कर रही है। वहीं, प्राइवेट स्कूलों में महीने की फीस 3 से 5 हजार रुपए है। फिर भी सरकारी स्कूलों का रिजल्ट कमजोर है। सरकारी स्कूलों के काफी बच्चों का मूलभूत ज्ञान में कमजोर हैं।
5वीं व 6ठी कक्षा के 6 लाख छात्रों को जोड़, घटाना, गुणा, भाग नहीं आता। पहाड़ा याद नहीं है। गिनती भी नहीं आती। अधिकांश छात्र 1 से 2 अंक की सम संख्याएं तो जोड़ लेते है। लेकिन विषम संख्या नहीं जोड़ पाते।
समर कैंप में यह सच्चाई सामने आई।
समर कैंप में 6 लाख कमजोर बच्चों को चिह्नित किया गया। इन बच्चों पर अब स्कूलों में विशेष ध्यान दिया जाएगा। इन बच्चों की गणित कमजोर है। विज्ञान में भी पीछे हैं। हवा, पानी जैसे बुनियादी विषयों की भी जानकारी नहीं है।
2 से 20 जून तक लगा था कैंप
राज्य में 2 जून से 20 जून तक समर कैंप चलाया गया। कैंप 38 जिलों के 1 लाख से अधिक टोलों में लगा। इसमें 12 लाख बच्चों ने हिस्सा लिया। ये वे छात्र थे, जो गणित व विज्ञान के साथ ही सामान्य विषय में कमजोर थे। हर कैंप में 10 से 15 बच्चे थे। दो घंटे क्लास चली थी। कैंप में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मुताबिक बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर विशेष जोर दिया गया।
सरकारी स्कूलों में छात्रों पर खर्च
बिहार के बजट का 5वां हिस्सा शिक्षा पर खर्च हो रहा है। सरकार हर महीने एक छात्र पर 6000 रुपए से अधिक खर्च करती है। इसमें छात्रवृत्ति, पोशाक, किताब, मिड डे मिल, शिक्षक व अधिकारी की सेलरी, भवन सहित अन्य खर्च है। छात्रों के पोशाक पर 600 से 1500 रुपए प्रति छात्र दिया जाता है। जबकि साइकिल के प्रति छात्र 3 हजार रुपए दिए जाते हैं।
समर कैंप में छात्रों के गणित विषय पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसमें उन्हें खेल के
माध्यम से पढ़ाया गया। ऐसे में छात्रों के कमजोरियां भी सामने आई हैं। जिसमें गणित, हिंदी सहित अन्य विषय में होने वाली दिक्कतों का पता चला है। सुनील कुमार, शिक्षा मंत्री बिहार
लक्ष्य निर्धारण कर छात्रों को पढ़ाया जाए तो फायदा
शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए शिक्षकों को कुछ बदलाव करना चाहिए। छात्रों को वे लक्ष्य तय कर पढ़ाएं। जो बातें 1 से 5वीं तक सिखाई जाएंगी, उनका असर 6वीं कक्षा से दिखने लगेगा। स्कूलों में पढ़ाई को प्रभावी बनाने के लिए छात्रों को रोजमर्रा की चीजों से जोड़कर पढ़ाएं।
- गिनती और पहाड़ा चॉकलेट, पेंसिल जैसी चीजों के जरिए सिखाएं। शब्दों का उच्चारण कराएं।
- जो भी विषय एक दिन पहले पढ़ाया गया हो, उसका हर दिन रिवीजन कराया जाए।
- शिक्षक और छात्र दोनों समय पर स्कूल आएं। हर दिन शिक्षक क्लास में पढ़ाई सुनिश्चित करें।
- स्कूल में समय-समय पर क्विज, भाषण और छोटे कार्यक्रम कराएं। प्रयास करें सब हिस्सा लें।
- पर्यावरण जैसे विषयों पर जानकारी दें।
- गणित व विज्ञान की पढ़ाई वस्तुओं से तुलना कर सिखाएं। स्कूल में राजनीति, घरेलू बातें न करें। वेतन, ट्रांसफर-पोस्टिंग की चर्चा स्कूल में न हो।
- छात्रों को चिह्नित करें। कमजोर, मध्यम और तेज छात्रों का ग्रुप बनाए।
- प्रत्येक ग्रुप में तीन प्रकार के छात्रों को रखें।
पहली कक्षा के नामांकन में आधार आवश्यक नहीं
विद्यालयों में कक्षा एक में बच्चों के नामांकन में आधार कार्ड की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। कक्षा 2 और इससे ऊपर की अन्य कक्षाओं में नामांकन के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता बनी रहेगी। इस संबंध में प्राथमिक शिक्षा निदेशक साहिला ने शुक्रवार को सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र भेजा है।
पत्र में कहा गया है कि
पिछले दिनों विभागीय बैठक में जानकारी मिली थी कि आधार की अनिवार्यता के कारण कई बच्चे कक्षा 1 में नामांकित नहीं हो पा रहे हैं। प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने सभी डीईओ को निर्देश दिया है कि ऐसे बच्चे जिन्होंने 6 वर्ष की आयु पूरी कर ली है, उनका नामांकन विद्यालय में कराया जाए व ई-शिक्षाकोष पर उन्हें पंजीकृत जरूर किया जाए।
प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने सभी डीईओ को भेजा पत्र
साथ ही बच्चों का आधार बनवाने के लिए समय-समय पर शिविर लगाने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाए। शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों में कक्षा एक में बच्चों के नामांकन के लिए अभियान चलाया गया था।
दो व ऊपर की कक्षाओं में दाखिले को आधार की अनिवार्यता रहेगी
दौरान अधिक संख्या में ऐसे बच्चों का नामांकन इस आशा में ले लिया गया था कि अभिभावक जल्द ही उनका आधार कार्ड बनवा लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। जिन बच्चों का आधार कार्ड नहीं है, उनकी इंट्री ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर नहीं हो पा रही है। आधार की अनिवार्यता समाप्त होने क बाद अब ऐसे बच्चों का
डाटा ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर हो जाएगा।
आधार कार्ड बनवाने के लिए शिविर लगाने का दिया निर्देश
11.21 लाख बच्चों का कक्षा एक में नामांकन चालू शैक्षणिक सत्र में सरकारी स्कूलों में अब तक 9 लाख 50 हजार बच्चों का कक्षा एक में नामांकन हुआ है। हर साल कक्षा एक में औसतन 10 से 12 लाख तक बच्चों का कक्षा एक में नामांकन होता है। 2024-25 में 11 लाख 21 हजार 438 का नामांकन हुआ था।
दो स्कूलों में नामांकन रोकने को आधार हुआ था अनिवार्य
2023 में शिक्षा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने एक ही बच्चे का दो या दो से अधिक स्कूलों में नामांकन रोकने के लिए आधार को अनिवार्य किया था। इसके बाद तब कक्षा एक से 12 तक 22 लाख बच्चों का नामांकन रद्द हुआ था। काफी बच्चे सरकारी स्कूलों में योजनाओं का लाभ लेने के लिए कराते हैं, लेकिन पढ़ाई निजी स्कूलों में करते हैं। बच्चों का आधार कार्ड बनवाने के लिए हरेक पंचायत में स्कूल चिह्नित किया गया था। अब भी प्रखंड स्तर पर आधार कार्ड बनवाने की व्यवस्था है। अभिभावकों की शिथिलता के कारण बच्चों का आधार नहीं बन रहा है।
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