ये बिजनेस घर बैठे शुरू करें- यदि आप कम पूंजी में प्रॉफिटेबल बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो इलेक्ट्रिक बाइक/स्कूटर रेंटल बेहतर विकल्प है। इसे मेन रोड, बाजार या कॉलेज/ऑफिस एरिया में 400-600 वर्गफुट जगह में 10 लाख रुपए के निवेश से शुरू कर सकते हैं। स्कूटर का किराया 100-150 रुपए प्रति घंटा या दिन भर (8 घंटे) के लिए 500 रुपए रख सकते हैं। 2 लाख के मासिक टर्नओवर पर खर्च काटकर 75 हजार से 1 लाख रुपए तक कमाई हो सकती है। अतिरिक्त आय के लिए चार्जिंग स्टेशन जोड़ सकते हैं।
कम पूंजी में फ्यूचर रेडी बिजनेस मॉडल
संभावित ग्राहकः बाहरी व्यापारी, मार्केटिंग एक्जिक्यूटिव्स, स्टूडेंट्स, पर्यटक आदि।
सुविधाएंः रिसेप्शन, बाइक पार्किंग, चार्जिंग स्टेशन, सीसीटीवी, स्टाफ एरिया।
बिजनेस की अनुमानित शुरुआती लागत ये होगी…
मद | लागत |
ई-स्कूटर (10 यूनिट @ ₹65,000) | ₹6,50,000 |
शोरूम/स्पेस रेंट डिपॉजिट (3 माह) | ₹90,000 |
चार्जिंग स्टेशन (10 पॉइंट्स) | ₹1,00,000 |
ब्रांडिंग, मार्केटिंग और ऐप/वेबसाइट | ₹50,000 |
इंश्योरेंस, हेल्मेट्स, लाइसेंस आदि | ₹60,000 |
अन्य खर्च | ₹50,000 |
कुल अनुमानित लागत | ₹10,00,000 |
अनुमानित मासिक खर्चः किराया बिजली (40 हजार), लोन ईएमआई (40 हजार), स्टाफ वेतन (30 हजार), मार्केटिग खर्च (20 हजार), अन्य खर्च (10 हजार) जोड़कर 1.4 लाख हो सकता है।
अनुमानित मासिक आमदनी (आरंभिक)
स्रोत (Source) | अनुमानित आय (₹) |
10 स्कूटर औसत कमाई (500 रुपये प्रति यूनिट) | ₹1,50,000 |
वीकेंड/पिक सीजन (अतिरिक्त आय) | ₹50,000 |
चार्जिंग सेवा (पब्लिक के लिए) | ₹20,000 |
कुल टर्नओवर (मासिक) | ₹2,20,000 |
इंडेक्स ट्रेडिंगः पैसा बनाने का स्मार्ट तरीका, ठोस रिसर्च के बिना पोजिशन न लें
जब हम शेयर बाजार में निवेश की बात करते हैं, तो अक्सर किसी एक कंपनी के शेयर खरीदने या बेचने का ख्याल आता है। लेकिन इंडेक्स ट्रेडिंग एक ऐसा स्मार्ट तरीका है जो आपको पूरे बाजार की बड़ी तस्वीर देखने, जोखिम फैलाने और निवेश में लचीलापन लाने का मौका देता है। यह नए और अनुभवी, दोनों तरह के निवेशकों के लिए बाजार से जुड़ने का लोकप्रिय जरिया है। खास तौर पर तब, जब वे किसी एक शेयर पर दांव लगाने से बचना चाहते हैं। इंडेक्स ट्रेडिंग पूरे बाजार या किसी खास सेक्टर के रुझान पर राय बनाने की सुविधा देती है। अलग-अलग शेयरों में ट्रेडिंग की तुलना में कम जोखिम और उत्तार-चढ़ाव होता है।
इंडेक्स ट्रेडिंग में मिलता है हर मार्केट सेंटीमेंट से कमाई का मौका… एक साथ पूरे बाजार में दांव लगा सकते हैं
इंडेक्स-फ्यूचर्सः… यह पक्का वायदा है। यानी सौदा पूरा करना होगा, चाहे कीमत कुछ भी हो। इसमें नफा-नुकसान, दोनों बड़े हो सकते हैं। उदाहरणः निफ्टी फ्यूचर्स 24,000 पर खरीदा। 24,500 होने पर 500 का फायदा, पर 23,500 रह जाने पर इतने का ही घाटा उठाना पड़ेगा।
इंडेक्स ऑप्शंसः सौदा पूरा करने की बाध्यता नहीं। 2 तरह के होते हैं…
कॉल ऑप्शंसः इंडेक्स बढ़ने की उम्मीद पर खरीदने का अधिकार।
पुट ऑप्शंसः इंडेक्स गिरने की उम्मीद पर बेचने का अधिकार।
उदाहरणः 24,200 का निफ्टी कॉल ऑप्शन ₹100 प्रोमियम देकर खरीदा। निफ्टी 24,200 से ऊपर गया तो फायदा, नीचे रहा तो 100 का घाटा। इसमें अधिकतम घाटा प्रीमियम होता है। फायदे की सीमा नहीं।
इंडेक्स ट्रेडिंग कई फायदे देती है, पर इसमें कुछ जोखिम भी
- लीवरेज रिस्कः कम पैसे से बड़ा सौदा कर सकते हैं, जिससे फायदा और नुकसान, दोनों बढ़ सकते हैं।
- एक्सपायरी का दबावः तय तारीख होने से सही समय पर फैसला अहम है। आर्थिक फैक्टर पर निर्भरताः इंडेक्स आर्थिक, भू-राजनैतिक फैक्टर से प्रभावित होता हैं, जिससे तेजी से बदलाव आते हैं।
- इंडेक्स ट्रेडिंग में रिस्क को अनुशासित तरीके से मैनेज करना और चार्ट पैटर्न व आर्थिक संकेतकों की ठोस समझ जरूरी है। यह उन लोगों के लिए बेहतरीन है, जो पूरे बाजार में निवेश करना चाहते हैं या कम समय के उतार-चढ़ाव का फायदा उठाना चाहते हैं। बशर्ते ये सब सही रणनीति-अनुशासन के साथ किया जाए।
इंडेक्स ट्रेडिंग में इंडेक्स फ्यूचर और ऑप्शन को समझिए
इंडेक्स-ट्रेडिंग यानी बाजार के पूरे ग्रुप पर एक साथ दांव लगाना, न कि किसी एक कंपनी पर। मसलन निफ्टी 50 या सेंसेक्स बाजार के धर्मामीटर जैसे हैं। चुनी हुई बड़ी कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन दिखाते हैं। इंडेक्स ट्रेडिंग में हम इन्हीं ग्रुप के बढ़ने घटने पर दांव लगाते हैं। ऐसे दांव लगाने के लिए खास तरह के अनुबंध होते हैं, जिन्हें फ्यूचर्स या ऑप्शंस कहते हैं।
- इंडेक्स फ्यूचर्स… यह एक तरह का वायदा है कि आप भविष्य की तय तारीख पर इंडेक्स को आज तय की हुई कीमत पर खरीदेंगे या बेचेंगे।
- इंडेक्स ऑप्शंस… ये आपको तय समय-सीमा से पहले, एक खास कीमत पर इंडेक्स को खरीदने या बेचने का अधिकार देते हैं, लेकिन यह आपकी मर्जी पर निर्भर करता है। तो, यदि आपकी रिसर्च कहती है कि निफ्टी 50 ऊपर जाएगा, तो आप ‘कॉल ऑप्शंस’ के जरिये ‘लॉन्ग’ पोजिशन ले सकते हैं। यदि गिरावट की आशंका है, तो फ्यूचर्स को ‘शॉर्ट’ कर सकते हैं या ‘पुट ऑप्शंस’ खरीद सकते हैं।
इंडेक्स ट्रेडिंग क्यों करें?
- जोखिम का फैलावः एक कंपनी पर निर्भरता घटाकर जोखिम कम करती है।
- आसान खरीद-बिक्रीः निफ्टी जैसे इंडेक्स में लेन-देन तेजी से होते हैं।
- लागत में बचतः कई शेयर अलग-अलग खरीदने के मुकाबले कम खर्च।
- बाजार अनुमानः अर्थव्यवस्था के बड़े रुझानों पर दांव लगा सकते हैं।
- खास रणनीतियांः उतार-चढ़ाव से जुड़े जटिल सौदों के लिए अच्छी है।
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