ढाई माह में 23.33 लाख स्कूली बच्चों के नाम कटे
75% उपस्थिति को लेकर बड़ी खबर :- लगातार अनुपस्थित और दो स्कूलों में नाम के चलते प्रदेश के सरकारी विद्यालयों से ढाई महीने में 23 लाख 33 हजार बच्चों के नाम काट दिये गए हैं। साथ ही नाम काटने का सिलसिला अभी जारी है।
19 लाख प्रारंभिक स्कूलों के छात्र शामिल
शिक्षा विभाग के निर्देश पर स्कूलों के प्रधानाध्यापक के द्वारा यह कार्रवाई की जा रही है। जिन बच्चों के नाम काटे गये हैं, उनमें 18 लाख 90 हजार प्रारंभिक (कक्षा एक से आठ) स्कूलों के हैं। वहीं, चार लाख 43 हजार विद्यार्थी माध्यमिक उच्च माध्यमिक स्कूलों के हैं। लगातार गैर हाजिर रहने वाले बच्चों के नाम स्कूलों से हटाने का कार्य सितंबर, 2023 में शुरू किया गया।
लगातार अनुपस्थित रहने पर कटे हैं ये नाम
विभाग ने निर्देश दिया था कि जो बच्चे लगातार तीन दिनों तक बिना सूचना के स्कूल नहीं आ रहे हैं, उनके अभिभावकों को नोटिस भेजें। इसके बाद भी बच्चे नहीं आ रहे हैं तो उनके नाम स्कूल से काट दें। विभाग ने यह भी साफ किया था कि बड़ी संख्या में ऐसे बच्चें भी हैं जो सरकारी के साथ-साथ निजी स्कूल में भी नामांकन लिये हुए हैं। विभाग ने कहा था कि विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के ऐसे बच्चों का दो स्कूलों में नामांकित हैं। ऐसे बच्चे नियमित रूप से पढ़ने जाते हैं निजी स्कूलों में, पर कभी-कभी सरकारी स्कूल में भी आ जाते हैं। ऐसे बच्चों की भी पहचान कर नाम काटने का निर्देश जिलों को है।
पूर्वी चंपारण में 12.45 लाख बच्चों के नाम कटे
राज्य के सभी 38 जिलों में बच्चों के नाम काटे गये हैं। इनमें सबसे अधिक पूर्वी चंपारण में 1.45 लाख बच्चों के नाम कटे हैं। इसी प्रकार पश्चिम चंपारण में 1.38 लाख, वैशाली में 1.34 लाख और मुजफ्फरपुर जिले में 1.05 लाख बच्चों के नाम कटे हैं। पटना जिले में ऐसे बच्चों की संख्या एक लाख 799 है।
उपस्थिति की सूचना नहीं देने वाले 55% स्कूलों को नोटिस
राज्य के 55फीसदी स्कूलों ने विद्यार्थियों की उपस्थिति की सूचना नहीं दी। यह बात समीक्षा बैठक में सामने आई है। अब इन स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। संतोषप्रद जवाब नहीं होने पर संबंधित स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
कम से कम 50 फीसदी छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य है….
मालूम हो कि शिक्षा विभाग ने सभी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों को छात्रों की उपस्थिति की जानकारी देने का निर्देश दिया था। स्कूलों में कम से कम 50 फीसदी छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य है। इसके लिए विद्यालय स्तर पर प्रयास करने का भी निर्देश दिया गया है। दूसरी तरफ प्रत्येक स्कूल में प्रतिदिन कितने छात्र-छात्रा उपस्थित हो रहे हैं, इसको सूचना स्कूलों ने संबंधित जिला शिक्षा कार्यालय को नहीं भेजी गई। राज्यभर में कुल 9200 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय है। इनमें से पांच हजार के लगभग स्कूल का 50 फीसदी उपस्थिति का डेटा लंबित है। पटना जिला की बात करें तो कुल पांच सौ स्कूलों में 250 स्कूलों ने उपस्थिति को डेटा नहीं भेजा है।
परीक्षा फॉर्म भरने के बाद कम हुई हाजिरी
इंटर मैट्रिक परीक्षा 2024 का परीक्षा फॉर्म भरा जा चुका है। ऐसे मैं दसवीं और 12वीं के छात्रों की हाजिरी 20 से 25% पर आ गई है। स्कूल प्रशासन के अनुसार माध्यमिक और प्लस टू दोनों ही स्तर पर शिक्षकों की कमी है। विषयवार शिक्षक नहीं हैं। ऐसे में छात्र कोचिंग में जाकर बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।
प्राचार्यों का रुक सकता है वेतन
जिन स्कूलों में 50 फीसदी छात्रों की उपस्थिति नहीं हो पाती है, उन स्कूलों के प्राचार्य का वेतन भी रुक सकता है। इसकी जानकारी शिक्षा विभाग पहले ही सभी जिला शिक्षा कार्यालय को दे चुका है। ऐसे में स्कूल प्राचार्य पर कार्रवाई भी हो सकती है।
माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्यों को देनी थी विद्यार्थियों की जानकारी
- 05 हजार विद्यालयों का उपस्थिति डेटा लंबित है राज्यभर में
- 109 हजार 200 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं सूबे में
- समीक्षा बैठक में उपस्थिति की जानकारी नहीं देने की बातें आई सामने
- 50 फीसदी छात्र-छात्राओं की उपस्थिति विद्यालयों में की गई है अनिवार्य
हाजिरी की सूचना नहीं देनेवाले का वेतन रुक सकता है। जिम्मेवारी प्राचार्यों की । अमित कुमार, डीईओ पटना
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