सफलता के सुत्र समझ गयें तो जीवन में कभी उदास नहीं होगें

सफलता के सुत्र समझ गयें तो जीवन में कभी उदास नहीं होगें

सफलता के सुत्र समझ गयें तो जीवन में कभी उदास नहीं होगें– ऐसी किसी ख़बर, जिसके घटनाक्रम या नतीजे किसी पर भी हम कोई प्रभाव नहीं डाल सकते, उस पर बहस करने के बाद वक़्त बर्बाद करने का अफ़सोस हुआ है आपको ? हुआ होगा। इस तथ्य को पहले से जानने वाले समझदार होते हैं। यह समझदारी जमा करते जाना जरूरी है। बड़े होते जाना सामान्य विकास है, लेकिन परिपक्वता तब मिलती है, जब विकास का लाभ लिया जाए। और परिपक्वता हासिल हो, तो समझ में आता है कि जीवन में किन मुद्दों-बातों को अहमियत देनी चाहिए और किस तरफ ध्यान नहीं देना ही बेहतर है। चंद कड़वी सच्चाइयां हैं, जो जीवन को सुखद बना सकती हैं।

आप कितनी ही कोशिश कर लें, तर्क रख दीजिए, आवाज ऊंची कर लीजिए लेकिन लोग केवल इस बात के इंतजार में रहते हैं कि कब उनको बोलने का मौक़ा मिले। हो सकता है, आपकी बात पूरी सुनना तो दूर, पूरी करने का मौक़ा भी ना दिया जाए। इसलिए लोगों के हाव-भाव पर ना जाना कि वे सुनने या मानने में दिलचस्पी ले रहे हैं। अपनी बात, अपने मानने के लिए रखिए

रोज ऐसी ख़बरें सोशल मीडिया पर या समाचार माध्यमों में सुनने को मिलती हैं, जिन पर बहस करने या जिन पर फिजूल मंथन करने में हम क्रीमती समय गंवाते हैं। कोई नतीजा तो निकलने वाला है नहीं। ना ही टीवी के सामने खूब चिल्ला- चिल्लाकर अपनी प्रिय टीम का हौसला बढ़ाने से कुछ होने वाला है। हमारी पुरजोर पहल भी अगर किसी मामले के नतीजे को नहीं बदलने वाली, तो ऐसी पहल से क्या फ़ायदा। हम फिजूल मामलों में उलझकर, जरूरी काम भूल जाते हैं- जैसे कोई जरूरी फोन, किसी अपने के लिए पांच मिनट की बातचीत, किसी कर्मचारी की जरा-सी मदद आदि। हम अपनी सामान्य जिंदगी में कई लोगों के लिए अहम हैं। इस दुनिया के रक्षक बनने के प्रयास करने के बजाय उन लोगों के लिए वक़्त निकालें, जो आपको अहमियत देते हैं

हमको हमारे परदादा की कोई बात, कोई सोच, कोई अनुभव पता नहीं होगा, याद होने की तो खैर कोई गुंजाइश ही नहीं। उसी तरह हमारे-आपके परनाती, परपोते को हमारे बारे में कुछ ज्यादा पता नहीं होगा। अब तो कोई फैमिली ट्री भी नहीं बनाता कि किसी घर की दीवार पर कहीं नाम भी लिखा बाकी रहे। तो बेहतर है कि बहुत ज्यादा आगे की ना सोचें। आज पर ध्यान केंद्रित करें।

यह दुनिया हमने नहीं बनाई और ना ही इसे अकेले चला सकते हैं, तो दम्भ कैसा? सीढ़ी की हर पायदान दोनों तरफ़ से दो बांसों के सहारे ही अपनी जगह पर बनी रहती है। कोई पायदान भी ऊपर तक अकेले नहीं पहुंचती, तो हम इंसानों की क्या बिसात। इसलिए जब कभी लगे कि यह काम केवल मेरे द्वारा ही किया जा सकता था, मैंने ही किया, तो जरा गौर से देख लें कि उस काम में और कितने लोगों ने कितने स्तरों पर योगदान दिया है।

केवल आपके अपनों के लिए, परिवार में आपकी जगह स्थायी है और उसे किसी से भी नहीं बदला जा सकता। शेष स्थानों पर मानकर चलिए कि इधर आपने पीठ की, उधर आपकी जगह कोई दूसरा आया। तब ‘कोई आपको याद करता होगा’, ‘अब पता चलेगा, मेरे बगैर कैसे काम कर पाएंगे’ ऐसे किसी भी विचार को त्याग ही दें, तो बेहतर। दुनिया किसी के लिए नहीं रुकी, ना ही रुक सकती है।

हर इंसान को अपने जैसे ही इंसान की तलाश होती है। खासतौर पर जीवनसाथी के रूप में। जैसा हम सोचते हैं, हम काम करते हैं, हमारे आदर्श, हमारी समझदारी- श्रेष्ठतम है, ऐसा हमें लगता है। जो हमारे जीवन में आए, वो भी ऐसा ही सोचे, यह भी उम्मीद होती है। लेकिन अमूमन ऐसा नहीं होता। समझने की बात है, जब जीवन में कोई नए ढंग की सोच और रहन-सहन वाला आएगा, तभी तो आत्मिक विकास होगा। सामंजस्य बैठाने का ढंग आएगा, सोच का विस्तार होगा।

अपने किसी अहम रिश्ते, दफ़्तर या किसी दोस्त आदि के लिए अपने आप को भुलाकर, दोहरे हो-होकर काम कर रहे होते हैं, तो टूथपेस्ट को थपेस्ट को याद करें। इसमें जब जरा-सा पेस्ट बाक्री होता है, तो ट्यूब पूरी तरह घूमती-दबती-दोहरी होते हुए बचा-खुचा पेस्ट देती है। उसके बाद क्या होता है? उसे फेंक यानी बदल दिया जाता है। अपनी वरीयता के क्रम में खुद को बहुत नीचे वाला स्थान ना दें। अपनी अहमियत समझें।

हो सकता है कि आपने पूरी मेहनत की हो, पूरी शिद्दत से जीत चाही हो, लेकिन किसी और की वजह से, जिस पर आपने भरोसा किया उसकी वजह से आप हार जाएं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप उससे चिढ़ें या उसे बुरा-भला कहें, उससे नाराज रहें, उसे जिंदगी से निकाल दें क्योंकि ऐसा कुछ भी करने से आपको हारी हुई बाजी फिर से नहीं मिल जाएगी। आपकी जबान और दिल साफ़ रखें। अच्छी, गहरी और चैन की नींद के लिए यह सबसे जरूरी स्थिति है।

हर गुज़रते साल के साथ उम्र का बढ़ना सबके साथ होता है लेकिन इसी के साथ परिपक्व होते जाना उम्र के साथ मिली समझदारी से मुमकिन है। यह तो होगा ही कि उम्र बढ़े, पर परिपक्व भी हों, यह चुनना होगा।

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