एचएमपीवी (HMPV) वायरस का बोर्ड परीक्षा पर क्या होगा असर ? क्या फिर लगेगा लॉकडाउन ?-एचएमपीवी वायरस का प्रकोप दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है। 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के लिए सीबीएसई के साथ-साथ सभी स्टेट बोर्ड जैसे कि बिहार बोर्ड, यूपी बोर्ड , राजस्थान बोर्ड ,महाराष्ट्र बोर्ड सब ने परीक्षाओं की तारीख की घोषणा कर दी है।अब ऐसे में मूल प्रश्न ए है की क्या एचएमपीवी वायरस का असर बोर्ड परीक्षा पर देखने को मिलेगा। इस पोस्ट में हम आपको जानकारी देंगे की-
- बोर्ड परीक्षा पर इस वायरस का कितना असर पड़ेगा?
- क्या फिर से लॉकडाउन लग सकता है?
- क्या बोर्ड परीक्षा इसके वजह से आगे बढ़ाया जा सकता है?
- एचएमपीवी वायरस क्या है?
- इसके रोकथाम के उपाय
- कैसे आप इस वायरस से बच सकते हैं
- इसकी कोई दवा उपलब्ध है कि नहीं
- एचएमपीवी वायरस के लक्षण क्या है?
- एचएमपीवी वायरस को लेकर संपूर्ण जानकारी
सबसे पहले आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस वायरस का ज्यादा व्यापक प्रभाव चीन में देखने को मिल रहा है। चीन में यह वाइरस बच्चों के साथ-साथ बुजुर्गों को भी संक्रमित कर रहा है। कोरोना वायरस की तरह इस बार वायरस का भी संक्रमण दिन प्रतिदिन चीन में बढ़ते जा रहा है।लेकिन राहत की बात यह है कि भारत में अभी तक मात्र इसके 8 से 10 एक्टिव कैसे ही देखे गए हैं।
क्या फिर से लॉकडाउन लग सकता है?
भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने यह स्पष्ट किया है की इस वायरस से रोकथाम के लिए हर तरह के उपाय किए जा रहे हैं। इसके साथ-साथ हॉस्पिटल में पर्याप्त बेड की व्यवस्था भी किया जा रहा है।
अभी लॉकडाउन लगने की कोई भी स्थिति नहीं है। और यह वायरस ठंड के साथ सक्रिय होता है। अर्थात की जैसे-जैसे ठंड का मौसम जाएगा । वैसे-वैसे इस वायरस का प्रभाव भी समाप्त हो जाएगा। उसके साथ-साथ यह कोरोना के जैसा खतरनाक भी नहीं है।
बोर्ड परीक्षा पर इस वायरस का कितना असर पड़ेगा?
बोर्ड परीक्षा पर इस वायरस का कोई असर नहीं होगा। एचएमपीवी वायरस के वजह से किसी भी बोर्ड परीक्षा की खास कर बिहार बोर्ड के मैट्रिक इंटर बोर्ड एग्जाम की तारीखों में बदलाव नहीं किया जाएगा।
अतः मैट्रिक इंटर के परीक्षार्थियों को यह निर्देश दिया जाता है कि वह किसी भी अफवाह से दूर रह कर अपनी परीक्षा की तैयारी करें। आपका परीक्षा निर्धारित समय पर जो रूटीन आया है। उसी के अनुसार होगा।
क्या बोर्ड परीक्षा इसके वजह से आगे बढ़ाया जा सकता है?
इसके साथ-साथ सभी बोर्ड की परीक्षाएं ससमय संचालित होगी। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सभी परीक्षाओं का संचालन किया जाएगा।
हालांकि इस वायरस से जागरूकता और सतर्कता अपनाना जरूरी है।आईए इस वायरस के लक्षण प्रभाव और बचाव के उपाय के बारे में आपको विस्तार से बताते हैं। ताकि आप किसी भी अफवाह से दूर रह कर अपनी सुरक्षा स्वयं कर पाए।
क्यों है चर्चा में एचएमपीवी (HMPV) वायरस
चीन में फैल रहे ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (एचएमपीवी) संक्रमण के मामले अपने देश में भी सामने आये हैं। अब तक देश में 8 बच्चों में संक्रमण पाया गया है। इसको लेकर डॉक्टरों का कहना है कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में इसके और भी मामले दिखें, लेकिन थोड़ी एहतियात व कोविड प्रोटोकॉल का पालन कर इसके खतरे को टाल सकता है। इस समय किसी को सर्दी-खांसी हो तो वे विशेष ध्यान रखें।
पहली बार नहीं आया है इसका केस
ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस की तुलना कोरोना वायरस से की जा रही है, क्योंकि यह भी श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। अमेरिका स्थित रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, इसे पहली बार वर्ष 2001 में ही खोजा गया था। यह कोरोना के मुकाबले कमजोर वायरस है। और सर्दियों के मौसम में इसके संक्रमण के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं। इस समय चीन में एचएमपीवी के तेज प्रकोप देखने को मिल रहा है।
अपने देश में भी एचएमपीवी के आठ मामले
अपने देश में भी इसके आठ मामले सामने आ चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, आइसीएमआर ने कर्नाटक में दो बच्चों में एचएमपीवी संक्रमण पाया है। तीन महीने की एक बच्ची व आठ महीने के बच्चे में संक्रमण मिला है। इसके अलावा गुजरात, तमिलनाडु व महाराष्ट्र में भी बच्चों में ही संक्रमण की सूचना है। सारे बच्चों की हालत स्थिर व चिंता से बाहर बतायी जा रही है।
क्या है ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (HMPV)
आमतौर पर वायरस दो प्रकार के होते हैं- डीएनए व आरएनए डीएनए वायरस स्थिर होते हैं, जिसमें कोई बदलाव नहीं होता है। वहीं, आरएनए वायरस में म्यूटेशन होता रहता है। एचएमपीवी एक आरएनए वायरस है, जो न्यूमोविरिडे फैमिली से संबंधित है। यह श्वसन तंत्र से संबंधित इन्फेक्शन को जन्म देता है। इसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ, सर्दी- खांसी और बुखार जैसी समस्याएं हो सकती हैं। चीन में यह वायरस तेजी से फैल रहा है और बच्चों व बूढ़ों को प्रभावित कर रहा है। सीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार, एचएमपीवी से संक्रमित बच्चों में निमोनिया, बुखार, खांसी और सर्दी जैसी समस्याएं ज्यादा आती हैं।
एचएमपीवी वायरस के लक्षण क्या है?
संक्रमितों में दिख सकते कॉमन फ्लू के लक्षण । इस वायरस से संक्रमित में प्राथमिक लक्षण सर्दी-खांसी और बुखार हैं। इसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है। इसके साथ गले में जलन व सिरदर्द भी इसके संक्रमण के लक्षणों में से एक है। बुजुगों में कई बार एचएमपीवी शरीर में दर्द व थकान जैसे लक्षण भी लिए हुए आता है। इसके अलावा, छोटे बच्चों व बुजुर्गों में यह वायरस कई बार गंभीर लक्षण भी दिखा सकता है। जैसे- उन्हें निमोनिया व ब्रॉन्काइटिस जैसी बीमारियों से भी पीड़ित होना पड़ सकता है।
कितने दिन तक रहता है संक्रमण का असर
सीडीसी के अनुसार, आमतौर पर यह वायरस 1 से 3 सप्ताह तक सक्रिय रह सकता है। इसके संक्रमण का प्रभाव व्यक्ति के इम्यून सिस्टम पर निर्भर करता है। अगर किसी की इम्युनिटी मजबूत है, तो इसका ज्यादा असर न भी हो, लेकिन कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में यह वायरस अपना प्रभाव दिखा सकता है। बच्चों व बुजुगों के मामले में सतर्कता जरूरी है। सीडीसी के अनुसार, सर्दियों में इस वायरस के पनपने की संभावना ज्यादा होती है। जब तक लक्षण गंभीर न हों, इसकी डायग्नोसिस की जरूरत नहीं पड़ती ।
कैसे होता है इस वायरस का प्रसार
- ■ खांसने व छींकने से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स (स्राव) से।
- ■ आपसी संपर्क, जैसे- छूने, हाथ मिलाने आदि से।
- ■ संक्रमित वस्तुओं को छूने के बाद मुंह, नाक या आंख को छूने से।
क्या हैं इस वायरस के प्रमुख खतरे
निमोनिया- बच्चों-बुजुगों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोग इस वायरस के संक्रमण की वजह से निमोनिया के शिकार हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में फेफड़ों में सूजन हो जाती है और सांस लेने में तकलीफ, घबराहट और शरीर में ऑक्सीजन की कमी जैसी दिक्कतें सामने आ सकती हैं।
ब्रॉन्काइटिस- यह भी सांसों से जुड़ी हुई बीमारी है, जो इस वायरस के कारण हो सकती है। ब्रॉन्काइटिस की वजह से सांस की नली में सूजन व गले में जलन जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इससे खांसी, ज्यादा बलगम बनने जैसी समस्याएं ज्यादा होती हैं। इस स्थिति में सांस लेने की समस्या कई बार इतनी बढ़ सकती है कि पीड़ित व्यक्ति को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ सकता है।
श्वसन रोग के मरीज को खतरा
जिनको भी अस्थमा, सीओपीडी जैसी बीमारियां पहले से है, तो उनके लिए इस वायरस के संक्रमण से स्थिति और गंभीर हो सकती है। यह वायरस मुख्य रूप से सांस लेना ही मुश्किल बनाता है। ऐसे में सांस से जुड़े रोगों के मरीजों की दिक्कत बढ़ सकती है। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, नवजात शिशु, वृद्ध • विशेषकर 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग व कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के इससे संक्रमित होने का जोखिम अधिक है। खांसी व सर्दी, बुखार, गले में जलन व कुछ मामलों में सांस लेने में कठिनाई एचएमपीवी के सामान्य लक्षण हैं। गंभीर मामलों में यह ब्रॉन्काइटिस, निमोनिया के लक्षणों में बदल सकता है।
एचएमपीवी के वैक्सीन के लिए ट्रायल जारी
एचएमपीवी के लिए वैक्सीन पर वैज्ञानिकों द्वारा शोध कार्य किया जा रहा है। एचएमपीवी व पैराइन्फ्लुएंजा वायरस-3 के लिए एक एमआरएनए बेस्ड कॉम्बिनेशन वैक्सीन’ तैयार किया गया है। ‘एम-आरएनए – 1653’ नाम के इस वैक्सीन का 18 से 49 वर्ष के वयस्कों पर पहले फेज का ट्रायल हो चुका है। इसके ट्रायल में आशाजनक परिणाम सामने आये हैं।
क्या हैं एचएमपीवी के लिए उपचार
इस वायरस के संक्रमण के उपचार के लिए कोई स्पेशल दवा तो अभी तक VACCINE उपलब्ध नहीं है।लेकिन बुखार, सर्दी और खांसी के लक्षणों का दवाओं से उपचार किया जाता है।
बच्चों के बचाव पर दें खास ध्यान
- ■ इससे बचाव का सबसे जरूरी तरीका है कि इस समय हम कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें।
- बाहर या भीड़भाड़ में जाते समय मास्क जरूर पहनें।
- ■ ऐसा करने से न सिर्फ एचएमपीवी से बचाव संभव है। बल्कि कॉमन फ्लू से भी बचा जा सकता है।
- ■ घर में यदि किसी को सर्दी-खांसी है, तो खांसते व छींकते समय मुंह पर टिश्यू / हाथ रखें। इस्तेमाल किये गये टिश्यू को तुरंत डिस्पोज करें।
- ■ बच्चों को ठंड से बचाएं नवजात को पूरे कपड़े पहनाएं। नवजात के सिर, कान व पैर ढक कर रखें।
- ■ ध्यान रखें कि आपका बच्चा मोजे व टोपी पहने। साथ ही जब बच्चा फर्श पर खेल रहा है, तब उसे
कपड़े वाले जूते जरूर पहनाएं। - ■ बच्चे को पर्याप्त आराम करने दे व स्वस्थ आहार दें। बच्चों को ठंडा खाना देने से बचें। कोशिश करें कि आप जब भी बच्चों को खाना दें, वह थोड़ा गर्म हो।
- ■ कहीं बाहर से आकर छोटे बच्चों को छूने से पहले हाथों को साबुन से धोएं। अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
- ■ इसके बाद भी कई बार बच्चे पर मौसम का असर हो सकता है। या फ्लू जैसे लक्षण दिख सकते हैं।
- ■ ऐसे में बच्चे को पर्याप्त मात्रा में लिक्विड डायट दें। यदि बुखार भी हो तो डॉक्टर से सलाह लें।
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