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कक्षा 10वीं समाजिक विज्ञान – राजनीति विज्ञान के प्रश्न जरूर रट लो

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By arcarrierpoint

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कक्षा 10वीं समाजिक विज्ञान - राजनीति विज्ञान के प्रश्न जरूर रट लो

कक्षा 10वीं समाजिक विज्ञान – राजनीति विज्ञान के प्रश्न जरूर रट लो लोकतंत्र की उपलब्धियाँ – लोकतंत्र की निम्नलिखित प्रमुख उपलब्धियाँ एवं विशेषताएं हैं

  1. उत्तरदायी एवं वैध शासन व्यवस्था
  • जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों का कल्याणकारी कार्यों के लिए तत्पर रहना।
  • संविधान एवं कानून के दायरे में रहकर जनता के हित में कार्य करना।
  • जनता का कार्य नहीं होने की स्थिति में चुनाव में उन्हें वोट से खारिज करना।
  1. जनता का चुनावों में बढ़ चढ़कर भाग लेना
  2. जनता का शिक्षित होना
  3. सामाजिक समानता

संविधान के तहत नागरिकों को सामाजिक समानता का अधिकार दिया गया है जिसमें राज्य द्वारा धर्म, जाति, लिंग, वंश, जन्म स्थल के आधार पर नागरिकों में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता।

  1. पंचायती राज व्यवस्था का सुदृढ़ होना
  2. स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव
  3. सामाजिक विषमता एवं सामंजस्य
  • आपसी समझदारी एवं विश्वास को बढ़ाना।
  • मतभेदों एवं टकरावों के बीच सामंजस्य

लोकतांत्रिक व्यवस्था एक उत्तरदायी एवं वैध सरकार का गठन करता है जो गैर-लोकतांत्रिक व्यवस्था में नहीं देखने को मिलता है। अगर हम भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सरसरी निगाह डालें तो उपर में वर्णित उपलब्धियों को लेकर भारतीय लोकतंत्र अपनी सफलता की सीढ़ी पर आगे बढ़ रहा है। कुछ एक बुराईयाँ-जैसे – धन-बल पर चुनाव लड़ना, अपराधी छवि वाले नेताओं की राजनीति में भागीदारी एवं परिवारवाद की राजनीति को समाप्त कर दिया जाए तो लोकतंत्र को सफल बनाया जा सकता है।

  • विस्तार की चुनौती
  • कार्यपद्धति / लोकतंत्र को मजबूत बनाने की चुनौती।

भारतीय लोकतंत्र की अन्य प्रमुख चुनौतियाँः

  • धमकी, हिंसा, हत्या, अपहरण और सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करके शासन पर अपनी मांगों को मनवाने के लिए दबाव बनाना आतंकवाद है।
  • सरकार का विकास से ध्यान हटकर आतंकवादी गतिविधियों पर अधिक समय तक रहना। उदाहरण- भारतीय संसद पर आतंकवादी हमला, मुम्बई के ताज होटल पर आतंकी हमला, जम्मू कश्मीर में आतंकी घटना आदि।
  • भाषा, जाति एवं नस्ल के आधार पर अलग देश की मांग करना।
  • अपनी मांग को पूरा करने के लिए हिंसा का सहारा लेना। जैसे कश्मीर को अलग देश बनाने की मांग, सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग।
  • लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास नहीं रखना।
  • अपनी बात मनवाने के लिए हिंसा का सहारा लेना।
  • सरकार द्वारा बने जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ सभी लोगों तक सीमित मात्रा में पहुँचना और इनका दुरूपयोग कुछ लोगों के द्वारा अपने हित में करना। जैसे रोजगार हेतु मनरेगा योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार।
  • सही ढंग से कमाए गए धन पर सरकार को कर नहीं देना।
  • गैर-कानूनी तरीके से कमाए गए धन- रिश्वत, कालाबाजारी, तस्करी इत्यादि। इसके कारण सरकार द्वारा जनकल्याणकारी योजनाओं में भरपूर पैसा खर्च नहीं हो पाता है।
  • बेरोजगार नौजवानों का शोषण अपने राजनीतिक हित के लिए किया जाना।
  • सरकार के तीनों अंग कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका के बीच टकराव ।
  • चुनाव में होने वाला अंधाधुंध खर्च।
  • क्षेत्रवाद-भाषायी, भौगोलिक एवं सांस्कृतिक आधार पर अलग प्रवेश की मांग करना। जैसे- गुजरात में सौराष्ट्र की मांग, असम में वोडोलैन्ड की मांग आदि।
  • आपराधिक छवि वाले लोगों का पार्टी में स्थान।

सरकार द्वारा बने जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ सभी लोगों तक सीमित मात्रा में पहुँचना और इनका दुरूपयोग कुछ लोगों के द्वारा अपने हित में करना। जैसे- वृद्धावस्था पेंशन में धांधली, मनरेगा में धांधली।

  • जाति के आधार पर मतदान, एवं
  • जातिगत आधार पर संघ एवं संगठन बनाना।

बिहार में लोकतंत्र की चुनौती के रूप में परिवादवाद प्रमुख है।

  • अपने ही परिवार के लोगों को आगे बढ़ाना।
  • दलों में शीर्ष पर हमेशा एक ही परिवार के लोगों का रहना। इससे सत्ता में आम लोगों की भागीदारी सीमित हो जाती है। जैसे चुनाव के टिकट बँटवारे में परिवार की प्राथमिकता, राजनीतिक पद पर नियुक्ति एवं नौकरी में भर्ती आदि।

राजनीतिक सुधार के लिए निम्न कार्य किये जा सकते हैं।

  • देश में व्यापक स्तर पर शिक्षा का प्रसार।
  • बेराजगारों के लिए रोजगार की व्यवस्था
  • सामाजिक भेदभाव एवं असमानता को दूर किया जाना।
  • निष्पक्ष चुनाव एवं नागरिकों की चुनाव में भागीदारी।
  • राजनीतिक दलों की व्यापक भागीदारी ।
  • पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत बनाकर ।

भारत की विधायिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व पहले आम चुनाव से लेकर 16वीं लोकसभा एवं राज्य की विधानसभाओं में बढ़ी तो है लेकिन स्थिति अभी तक संतोषप्रद नहीं है। जैसे-1952 के लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 3% और 15वीं लोकसभा में लगभग 10% है जबकि 16वीं लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगभग 10.23% रहा है। यह महिलाओं के जनसंख्या के अनुपात में काफी कम है।

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यह वेबसाइट Sumit Sir के निर्देशन में संचालित है। इस बेवसाइट पर सही और सटीक जानकारी सबसे पहले उपलब्ध कराया जाता है। सुमित सर के पास पिछले पांच साल से ऑनलाइन और ऑफलाइन पढाने का अनुभव है। धन्यवाद।

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