कक्षा 10वीं/12वीं में हिन्दी में 100 में 100 लाने का आसान फॉर्मूला
:–राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी को दर्जा दिए जाने के बावजूद आज के युवाओं का हिन्दी ज्ञान कितना है यह बात किसी से छिपी नहीं है। बोर्ड परीक्षा में आकर्षक नतीजे पाने के लिए अन्य किसी विषय की भाँति हिन्दी का भी समान महत्त्व है इस बात को नहीं भूलना चाहिए। तो आइए बात करते हैं, इस पेपर में ज्यादा से ज्यादा अंक बटोरने के कुछ आसान से नुस्खों पर-
- (1) बोर्ड परीक्षा की तैयारी के दौरान नियमित दिनचर्या के हिसाब से रोजाना कम-से-कम दो घंटे का समय हिन्दी को अवश्य दें।
- (2) पाठ को पढ़ने के बाद उनके उत्तर स्वयं लिखें और फिर अपने आप ही पुस्तकों से जाँचें। हाँ, अगर अध्यापकों को दिखाने का मौका मिल जाए तो और अच्छा रहेगा तथा आपको अन्य गलतियों के बारे में भी समय रहते पता चल जायेगा।
- (3)लिखकर याद करने का पुनरावृत्ति की आदत डालें। इससे लिखने की गति बढ़ेगी और लिखावट में भी सुधार होगा। संभावित विषयों पर स्वयं टिप्पणी या पत्र – लेखन अवश्य करें। ऐसे कम-से-कम संभावित विषयों का चयन कर लें।
- (5) लिखावट सुधारने का सबसे अच्छा और आसान तरीका है प्रत्येक अक्षर को पूरा लिखें । अधूरे अक्षर या जल्दबाजी में लिखने से कभी भी अच्छी लिखावट संभव नहीं हो सकती है।
- (6) प्रभावी उत्तर लेखन का तरीका है बिन्दुवार अपनी बातों को आसान शब्दों में प्रस्तुत करना । वाक्यों को विषय से जोड़ते हुए विचार व्यक्त करना। अटपटे वाक्य या उनके बीच कोई तारत्म्यता का नहीं होना परीक्षक को नाराज करने के लिए काफी होता है।
- (7) शब्दों अथवा वाक्य रचना की अशुद्धियों से हमेशा बचने का प्रयास करना चाहिए। छोटे वाक्यों और सरल शब्दों से भी आप अपनी बातें रख सकते हैं।
- (8)पाठ्य-पुस्तकों के अध्ययन में लेखकों और कवियों के नाम के साथ उनके परिचय पर भी अवश्य ध्यान देना चाहिए | उत्तर लेखन में ऐसी जानकारियाँ देने से परीक्षक पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
- (9)भरसक प्रयास करें कि अंग्रेजी के शब्दों का कहीं प्रयोग न किया जाए।
- (10) प्रश्न- पत्र के विभिन्न प्रश्नों के लिए बोर्ड द्वारा जारी अंकों के मान से संबंधित निर्देशों की जानकारी होनी आपके लिए जरूरी है।
- (11) पूर्व के वर्षों में पूछे गये प्रश्नों सैम्पल पेपर्स का अधिकाधिक अभ्यास आपको न सिर्फ आत्मविश्वास देगा बल्कि सही तरीके से उत्तर लेखन की समझ को भी विकसित करने में सहायक होगा।
- (12) सहायक पुस्तकों से मदद लेने में कोई बुराई नहीं है पर भरसक कोशिश यही करें कि अपनी भाषा में उत्तर लिखें।
आम गलतियाँ–कक्षा 10वीं/12वीं में हिन्दी में
- (1) हिन्दी की तैयारी का अर्थ अक्सर पाठ्य-पुस्तकों की पढ़ाई तक ही सीमित रखा जाता है जबकि सही मायने में इस पेपर में व्याकरण, अपठित गद्यांश, टिप्पणी लेखन, पत्र – लेखन तथा अन्य प्रकार के प्रश्नों का भी कम महत्त्व नहीं होता है।
- (2) आमतौर पर सरसरी निगाहें दौड़ाते हुए हिन्दी की पढ़ाई करने का प्रचलन आजकल के युवाओं में देखा जाता है। इससे न तो सम्पूर्ण एकाग्रता हो पाती है और न ही विषय को समझा जा सकता है।
- (3) बिना लिखे अथवा अभ्यास के प्रश्नों को तैयार करने के शॉर्टकट से अंक भी शॉर्टकट अंदाज में परीक्षकों द्वारा दिये जाते हैं।
- (4)सुन्दर और स्पष्ट लिखावट के प्रति लापरवाही प्रायः युवाओं में देखने को मिलती है।
- (5) अंतिम परीक्षा की तैयारी के दौरान कक्षा में अध्यापकों द्वारा सुझाये गये महत्त्वपूर्ण हिस्सों अथवा पाठों के नोट्स के दुबारा देखने की जरूरत भी नहीं समझी जाती है।
अक्सर देखने में आता है कि अन्य सभी विषयों में 80 से 90 प्रतिशत तक अंक लाने वाले छात्रों को हिन्दी में कम अंकों की वजह से कुल प्राप्तांकों की प्रतिशत में जबरदस्त गिरावट झेलनी पड़ जाती है। यह वाकई अजीब विडम्बना ही कही जा सकती
है मेधावी छात्रों के सामने ऐसी स्थितियाँ आती हैं प्रायः सभी विषयों में ट्यूशन या कोचिंग क्लासेज के पीछे भागमभाग लगी रहती … है लेकिन इकलौता हिन्दी ही ऐसा विषय है जिसे यह एक ‘गौरव’ प्राप्त नहीं है। जबकि देखा जाए तो इस विषय के अंक भी अन्य विषयों की तरह उतने ही महत्त्वपूर्ण हैं। इसके पीछे बुनियादी तौर पर
दो कारणों का जिक्र किया जा सकता है, पहला तो यही कि मातृभाषा या आम बोलचाल की भाषा होने के कारण अत्याधिक आत्मविश्वास की स्थिति कुछ छात्रों में बन जाती है और वे ठीक से तैयारी नहीं करते। जबकि दूसरा कारण है रोजगार की भाषा नहीं होने के कारण एक उपेक्षा का मनोभाव ।
महत्वपूर्ण बात –कक्षा 10वीं/12वीं में हिन्दी में
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