Bihar Board Class 10th economics PDF notes Download:- इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि बिहार बोर्ड कक्षा 10वीं के अर्थशास्त्र के खंड में 7 पाठ हैं इन पाठ का पूरा नोट यहां उपलब्ध कराया गया है संपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर का नोट यहां से डाउनलोड कर सकते हैं पूरे प्रश्न याद कर ले हर साल परीक्षा में पूछे जाते हैं
- अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास
- राज्य एवं राष्ट्र की आय
- मुद्रा, बचत एवं साख
- हमारी वित्तीय संस्थाएँ
- रोजगार एवं सेवाएँ
- वैश्वीकरण
- उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण
- कुछ महत्वपूर्ण लिंक
अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास Bihar Board Class 10th
- भारतीय अर्थव्यवस्था का मौजूदा स्वरूप एक लम्बे उतार-चढ़ाव का परिणाम है।
- ब्रितानी शासन के दौरान अर्थ का उल्टा प्रवाह अर्थात भारत से ब्रिटेन की ओर होने लग गया।
- अर्थव्यवस्था में आजीविका सच्चिरित है। यह आजीविका अर्जन की एक प्रणाली है।
- भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना – (क) प्राथमिक (कृषि) (ख) द्वितीयक (उद्योग) तथा (ग) तृतीयक (सेवा) इन तीन क्षेत्रों से मिलकर गठित है।
- विश्व की मौजूदा अर्थव्यवस्था – (i) समाजवादी अर्थव्यवस्था (ii) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था (iii) मिश्रित अर्थव्यवस्था है।
- आर्थिक विकास का अर्थ है-किसी अर्थव्यवस्था के वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि ।
- बिहार की जनता धनी है पर यहाँ के लोग गरीब हैं, बाढ़ तथा सूखा यहाँ की प्रमुख समस्या है।
- बिहार को अपने विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज केन्द्र सरकार से चाहिए। केन्द्र सरकार ऐसी माँगों पर समर्थन कर दे और सहायता दे दे तो बिहार का विकास तेजी से होने लगेगा ।
- विकास का गहरा संबंध मूलभूत आवश्यकताओं से है। विकास हेतु कई राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
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राज्य एवं राष्ट्र की आय Bihar Board Class 10th
- आय का आशय उस मुद्रा या वस्तु से है जो शारीरिक या मानसिक श्रम रूपी सेवा या पूँजी विनियोग के कारण प्राप्त होता है जो कई रूपों में उपलब्ध हो सकता है।
- प्रति व्यक्ति आय = राष्ट्रीय आय देश की कुल आय
- एक वर्ष में किसी देश में अर्जित आय की कुल मात्रा राष्ट्रीय आय कहलाती है। राष्ट्रीय आय में केवल वे ही सेवाएँ शामिल होती हैं जिनके बदले भुगतान होता है ।
- राष्ट्रीय आय = उपभोग व्यय + विनियोग
- कुल घरेलू उत्पाद (GDP)- कुल घरेलू उत्पाद = मजदूरी एवं वेतन + लगान से आय + शुद्ध लाभ + कंपनियों के लाभ + अप्रत्यक्ष कर + मूल्य ह्रास अथवा घिसावट ।
- शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDP)– शुद्ध घरेलू उत्पाद = कुल घरेलू उत्पाद – (अप्रत्यक्ष कर + मूल्य ह्रास)
- कुल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) कुल राष्ट्रीय उत्पाद = घरेलू उत्पाद + (देशवासियों द्वारा विदेशों में अर्जित -आय विदेशियों द्वारा देश में अर्जित आय )
- शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = कुल राष्ट्रीय उत्पादन – (कच्चे माल की कीमत + चल एवं अचल पूँजी का प्रतिस्थापन व्यय + अचल पूँजी का घिसावट एवं मरम्मती व्यय + कर एवं बीमा व्यय)
- प्रतिव्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय से आर्थिक विकास प्रभावित होती है।
मुद्रा, बचत एवं साख
- मुद्रा रूपी धुरी के चारों ओर सम्पूर्ण आर्थिक विज्ञान चक्कर काटती है।
- मुद्रा के आविष्कार ने विनिमय प्रणाली को आसान बना दिया । मुद्रा हमारे जीवन का आवश्यक अंग है।
- मुद्रा, सामान्य स्वीकृति प्राप्तं, विधिग्राह्य एवं स्वतंत्र रूप से प्रचलित कोई भी वस्तु जो विनिमय का माध्यम, मूल्य का समान मापक, ऋण भुगतान का मापदण्ड तथा संचय के साधन के रूप में कार्य करती है।
- मुद्रा के चार कार्य हैं- माध्यम, मापन, संचय और भुगतान ।
- विनिमय के दो रूप – वस्तु विनिमय प्रणाली तथा मौद्रिक विनिमय प्रणाली है।
- भारत में प्रचलित मुद्रा-सिक्का, नोट या रुपया, प्लास्टिक मुद्रा (ए० टी० एम०), डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड ने विनिमय को और आसान बना दिया है।
- सिक्के तथा एक रुपये के नोट पर अदायगी का वादा नहीं रहता है। अतः केन्द्र सरकार के वित्त विभाग इसे चलाती है। बाकी नोट जिस पर अदायगी की वचनबद्धता होती है, उसे भारतीय रिजर्व बैंक चलाती है।
- बचत आय तथा उपभोग का अन्तर है।
- साख एक विनिमय कार्य है जो निश्चित अवधि के बाद भुगतान करने के बाद पूरा हो जाता है। साख पत्र का प्रयोग साख- मुद्रा के रूप में होता है।
- साख पत्र के प्रकार हैं- चेक, विनिमय बिल, बैंक ड्राफ्ट, हुण्डी, प्रतिशत पत्र, यात्री चेक, पुस्तकीय साख तथा साख-प्रमाण पत्र ।
- साख पत्र एवं मुद्रा समान प्रकार के कार्य करते हैं । मुद्रा कानूनन मान्य होते हैं जबकि साख पत्र को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं होती ।
हमारी वित्तीय संस्थाएँ
- प्रान्तीय वित्तीय संस्थाएँ अपने दो महत्त्वपूर्ण अंगों – (क) गैर संस्थागत तथा (ख) संस्थागत वित्तीय स्रोत के माध्यम से कार्य करती हैं ।
- व्यावसायिक बैंक के महत्त्वपूर्ण कार्य हैं – (क) जमा राशि को स्वीकारना, (ख) ऋण प्रदान करना, (ग) सामान्य उपयोगिता सम्बन्धी कार्य करना, (घ) एजेन्सी संबंधी कार्य करना आदि ।
- सहकारिता संगठन स्वेच्छापूर्वक मिलजुल कर लोग काम करते हुए सामान्य आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं
- स्वयं सहायता समूह 15-20 व्यक्तियो का एक समूह है जो लघु से या आंशिक रूप से स्वामित्व प्राप्त करना तथा उनका प्रबंधन ऋण लेकर अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं एवं गाँवों के विकास में अपना योगदान करते हैं।
रोजगार एवं सेवाएँ
- आर्थिक विकास के तीन क्षेत्र हैं- कृषि क्षेत्र, उद्योग क्षेत्र तथा सेवा क्षेत्र सेवा क्षेत्र का विकास कृषि एवं उद्योग क्षेत्र में पायी जाने वाली 1 अनिश्चितता के काल में हुआ। सेवा क्षेत्र को ही आर्थिक विकास का तीसरा क्षेत्र कहा जाता है।
- सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान कृषि उद्योग की तुलना में ज्यादा है।
- सेवा क्षेत्र के अन्तर्गत – (क) सरकारी सेवा क्षेत्र तथा (ख) गैर सरकारी सेवा क्षेत्र आते हैं।
- सरकारी सेवा क्षेत्र के अन्तर्गत सैन्य सेवाएँ, शिक्षा सेवा, स्वास्थ्य सेवा, अभियंत्रण सेवा, वित्त सेवा, बैंकिंग सेवा, दूरसंचार सेवा, रेल सेवा, वायुयान सेवा, बस सेवा, कृषि सेवा आते हैं।
- गैर सरकारी सेवा – ब्यूटी पार्लर, दूरसंचार सेवा, बैंकिंग सेवा, स्वास्थ्य सेवा आदि आते हैं।
- बहुराष्ट्रीय कंपनियों या अन्य कम्पनियों द्वारा संबंधित नियमित सेवाएँ स्वयं अपनी कम्पनी की बजाए किसी बाहरी का विदेशी स्रोत या संस्था द्वारा या समूह से प्राप्त किया जाता हो, बाह्य स्रोत कहलाता है ।
- मानव पूँजी के प्रमुख घटक भोजन, वस्त्र, आवास, स्वास्थ्य एवं शिक्षा |
- आर्थिक मंदी एवं सेवा क्षेत्र का विकसित राष्ट्रों पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा जबकि भारत पर काफी कम। बिहार राज्य भी अपेक्षाकृत कम प्रभावित हुआ।
वैश्वीकरण-Class 10th economics PDF
- वैश्वीकरण एक प्रक्रिया अथवा व्यवस्था है जिसके अन्तर्गत विश्व के विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के बीच समन्वय अथवा एकीकरण किया जाता है।
- वैश्वीकरण को संभव बनाने वाले कारकों में-प्रौद्योगिकी प्रगति तथा विदेश व्यापार एवं विदेशी निवेश का उदारीकरण प्रमुख है।
- विदेश व्यापार विश्व के देशों के बाजारों को जोड़ने का कार्य एवं एकीकरण का कार्य करते हैं।
- वैश्वीकरण के आम आदमी पर अनुकूल एवं प्रतिकूल प्रभाव पड़े हैं।
- भारत की 1991 ई० का आर्थिक सुधार उदारीकरण निजीकरण तथा वैश्वीकरण पर आधारित है जो नई आर्थिक नीति के नाम से भी जानी जाती है।
- वैश्वीकरण से बिहार नकारात्मक एवं सकारात्मक दोनों ही ढंग से प्रभावित हुआ
- बहुराष्ट्रीय कम्पनी : वैसी कम्पनियाँ जो एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण एवं स्वामित्व रखती हैं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ विश्व स्तर पर वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करती है।
- विश्व व्यापार संगठन: विश्व व्यापार संगठन अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित नियमों का निर्धारण करता है तथा इनके पालन पर अपनी नजर रखता है।
- उदारीकरण: सरकार द्वारा लगाए गए सभी अनावश्यक नियंत्रण एवं प्रतिबंधों से अर्थव्यवस्था की मुक्ति, जैसे परमिट, लाइसेंस या कोटा।
- निजीकरण: निजी क्षेत्र द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमी पर पूर्णरूप से या आंशिक रूप से स्वामित्व प्राप्त करना तथा उनका प्रबंधन करना
उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण-Class 10th economics PDF
- बाजार व्यवस्था में सबसे महत्त्वपूर्ण है, उपभोक्ता । उत्पादन को समस्त क्रिया उपभोक्ता द्वारा ही संचालित होती है।
- वैश्वीकरण के इस दौर में चूँकि उपभोक्ताओं के समक्ष वस्तुएँ तथा सेवाएँ अधिकाधिक रूप में मौजूद होते हैं इसलिए जागरूक उपभोक्ता ही सही वस्तु का चयन कर सकते हैं।
- उपभोक्ताओं को जागरूक बनाने, उपभोक्ताओं को संरक्षण प्रदान करने, उन्हें शोषण से बचाने के लिए सरकार ने 1986 ई० में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 ई० लागू कर उपभोक्ताओं को कई अधिकार दिए। उनकी शिकायत निवारण हेतु त्रिस्तरीय जिला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर न्यायिक व्यवस्था की गयी है।
- मानवाधिकार आयोग तथा सूचना के अधिकार जैसी संवैधानिक संस्थाओं की स्थापना से उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के प्रयास किए गए हैं।
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