कक्षा 12वीं जीवविज्ञान (Biology) सेंट अप परीक्षा 2025 का प्रश्नपत्र उत्तर सहित:-इस पोस्ट में बिहार बोर्ड से आयोजित सेंट अप परीक्षा 2025 का प्रश्न पत्र दिया गया है । तो जितने भी छात्र-छात्राएं 12वीं की परीक्षा 2025 में बिहार बोर्ड से देंगे। तो आपके लिये स्कूल स्तर पर sent up exam 2025 का आयोजन 11 नवंबर से 18 नवंबर तक हो रहा है । आप के सेंट अप परीक्षा के जीवविज्ञान विषय का अरिजनल प्रश्न पत्र उत्तर के साथ दिया गया है । इस पोस्ट के माध्यम से बिहार बोर्ड 12वीं सेंट अप परीक्षा 2025 के जीवविज्ञान विषय का प्रश्न पत्र उत्तर के साथ डाउनलोड कर सकते है।
Bihar Board Class 12th sent up exam Biology Question Paper With Answer
इस पोस्ट के माध्यम से सेंट अप परीक्षा के Biology विषय के प्रश्न पत्र का PDF डाउनलोड कर सकते है । इसके साथ-साथ Objective और Subjective प्रश्नों का उत्तर भी डाउनलोड कर सकते है ।
12th sent up exam 2025- EXAM CENTER
इस परीक्षा का आयोजन आपके विद्यालय के स्तर पर होगा। अर्थात की जिस भी विद्यालय में आपका नामांकन है। उसी में जाकर आपको परीक्षा देना पड़ेगा ।
Admit Card Of 12th sent up exam 2025
इस परीक्षा के लिए बिहार बोर्ड के तरफ से कोई भी ऑफिशियल एडमिट कार्ड जारी नहीं किया जाएगा। क्योंकि यह आपके विद्यालय के स्तर पर आयोजित होने वाला एकमात्र जांच परीक्षा है।
प्रश्न पत्र कहां से आएगा ?
कक्षा 12वीं के सेंट अप परीक्षा 2025 का प्रश्न पत्र में 100% पुरे सिलेबस से प्रश्न रहेगा |
कॉपी का जांच कहां होगा ?
कक्षा 12वीं के सेंट अप परीक्षा के कॉपी का मूल्यांकन आपके विद्यालय के स्तर पर ही होगा।
CLASS 12 sent up exam Biology Question Paper
CLASS 12TH | sent up exam 2025 |
SESSION | 2023-25 |
SUBJECT/CODE | Biology-118 |
EXAM DATE | 12/11/2024 |
SITTING | 2nd SHIFT |
TIME | 02.00 PM to 5:15 PM |
BSEB Class 12th sent up exam 2025 Biology Objective Answer Key –
Q.N. | ANS | Q.N. | ANS | Q.N. | ANS |
1. | B | 26. | D | 51. | A |
2. | D | 27. | D | 52. | A |
3. | A | 28. | A | 53. | A |
4. | B | 29. | D | 54. | D |
5. | A | 30. | B | 55. | D |
6. | A | 31. | A | 56. | B |
7. | B | 32. | D | 57. | B |
8. | A | 33. | B | 58. | D |
9. | D | 34. | C | 59. | B |
10. | A | 35. | A | 60. | A |
11. | C | 36. | C | 61. | C |
12. | B | 37. | B | 62. | C |
13. | D | 38. | A | 63. | B |
14. | D | 39. | C | 64. | C |
15. | C | 40. | D | 65. | D |
16. | D | 41. | A | 66. | A |
17. | D | 42. | D | 67. | B |
18. | C | 43. | B | 68. | D |
19. | A | 44. | C | 69. | A |
20. | D | 45. | B | 70. | D |
21. | C | 46. | A | ||
22. | D | 47. | D | ||
23. | C | 48. | D | ||
24. | A | 49. | A | ||
25. | B | 50. | A |
12th sent up exam Biology Subjective Question Download Link –
नीचे दिए गए लिंक से आप सब्जेक्टिव प्रश्न का उत्तर पीडीएफ़ फॉर्मेट में डाउनलोड कर सकते है ।
नोट- यह प्रश्नपत्र और उत्तर 12th के सेंट अप परीक्षा 2024 का है । Biology Question Paper
खण्ड- ब / SECTION – B
लघु उत्तरीय प्रश्न / Short Answer Type Questions
प्रश्न संख्या 1 से 20 लघु उत्तरीय हैं । किन्हीं 10 प्रश्नों के उत्तर दें ।
Question Nos. 1 to 20 are Short Answer Type. Answer any five question. Each question carries 2 marks :
1. रासायनिक विकास से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- प्रारम्भ में उत्पन्न जीव समुद्र जल से अवशोषित कार्बनिक पदार्थों के किण्वन से ऊर्जा प्राप्त करते थे यानी ये रसायन पर पोषी थे तथा माध्यम अनॉकसीय था समुद्र जल से कार्बनिक पदार्थों के लगातार अवशोषण से इसकी मात्रा में कमी आयी तथा किण्वन द्वारा उत्पन्न कार्बनडायऑक्साइड से लम्बी अवधि में इसकी मात्रा में अत्यधिक वृद्धि हो गयी अत: उस समय समुद्र में मौजूद मैग्नेसियम पॉरफायरिन्स से क्लोरोफिल की उत्पत्ति हुई इसमें जीवों में सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन निर्माण की क्षमता आ गई फलतः रसायन परपोषी जीव स्वपोषी में बदल गये । प्रकाश संश्लेषण में कार्बन डायऑक्साइड का उपयोग हुआ तथा ऑक्सीजन की उत्पत्ति हुई इसमें अनॉक्सीय वायुमण्डल ऑकसीय में बदल गया तथा अधिक उन्नत प्रकार के जीवन/जीवों के उत्पत्ति का मार्ग प्रशस्त हो गया ।
2. स्वास्थ्य को परिभाषित करें।
उत्तर- पूर्ण कायिक, मानसिक तथा सामाजिक रूप से सुचारुपूर्वक शरीर की गतिविधि के । संचालन की अवस्था को स्वास्थ्य कहते हैं। WHO ने स्वास्थ्य को “पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति के रूप में परिभाषित किया |
4. जैव विविधता के दो महत्वों का उल्लेख करें।
उत्तर- जैव विविधता के महत्व-
(1) औषधीय महत्व- प्राचीन काल से ही जड़ी-बूटियों का उपयोग अनेक प्रकार की बीमारियों के इलाज में किया जाता रहा है| ए
(2) आर्थिक महत्व- जैवविविधता हमें प्रत्यख रूप से भोजन, ईंधन, चारा, इमारती, लकड़ी, आघोगिक कच्चा माल उपलब्ध कराती है| जैव विविधता के कारण ही हमें विविधता पूर्ण भोजन, धान, अनाज, फल, सब्जियाँ मिलती है|
5. परजीविता के प्रकारों का उल्लेख करें।
उत्तर- साधारण अर्थों में परजीविता को भोजन से ही सम्बंधित करते हैं, परन्तु कुछ अन्य परजीविताएँ भी होती है, जिनका सम्बन्ध केवल भोजन प्राप्त करने से ही नहीं है। वे निम्नलिखित हैं :
सजातीय परजीविता – साधारणतया एक प्रजाति के जन्तु दूसरी प्रजाति पर निर्वाह करते हैं, परन्तु बहुधा एक प्रजाति के नर और मादा में ही परजीवी तथा परपोषी का संबंध स्थापित हो जाता है, उदाहरणार्थ, फोटोरनीनस स्पाइनिसेप्स (Photornynus spiniceps) नामक मत्स्य में अत्यंत क्षीण नर अपनी मादा की पीठ पर परजीवी के रूप में रहता है, क्योंकि दोनों के रक्तसंचरण संबंधित होते हैं।
परात्परजीविता (Hyper-parasitism) – बहुधा एक परजीवी के शरीर में दूसरा परजीवी स्वयं रहने लगता है। ऐसे संबंध को परात्परजीविता कहते हैं, उदाहरणार्थ प्रोटोज़ोआ (Protozoa) वंश के ओपलाइना (Opalina) नामक अंत:परर्जीवी के शरीर में अमीबा (amoeba) का पाया जाना। यह घटना कीटों, क्रस्टेशिया तथा कृमियों में काफी विस्तृत है।
6. एककोशिकीय प्रोटीन क्या है ?
उत्तर- एकल कोशी प्रोटीन शैवाल या ऐल्गी, फफूंद या कवक, खामीर या यीस्ट एवं जीवाणु एकल कोशी सूक्ष्म जीव हैं, जिनमें प्राप्य प्रोटीन का उपयोग मानव आहार तथा पशु-आहार के रूप में किया जा सकता है; परंतु इन जीवों का अविषैला होना आवश्यक है।
7. वन संरक्षण में महिलाओं की भूमिका क्या है ?
उत्तर- वन संरक्षण हेतु हिमालय के अनपढ़ जनजातीय महिलाओं ने एक विशेष आंदोलन दिसंबर, 1972 में प्रारम्भ किया जो चिपकों आंदोलन के नाम से प्रसिद्ध हुआ । यह आंदोलन उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में आरम्भ हुआ । इन महिलाओं ने पेड़ों से चिपककर आंदोलन चलाया जिसके कारण इन्हें सन 1978 में पुलिस की गोलियों का शिकार होना पड़ा । देश के अन्य भागों में जनजातियाँ इस आंदोलन से प्रेरित हुई और पेड़ों के विनाश के विरुद्ध आवाजें उठाई । इसी प्रकार सन 1731 में राजस्थान में जोधपुर के निकट अमृता देवी और उसकी तीन बेटियाँ और विशनोई परिवार के सैकड़ों लोगों ने वृक्ष की रक्षा के लिए अपने प्राण गँवा दिये । इस प्रकार उन्होंने जंगल एवं जमीन की धरोहर को सुरक्षित रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
8. मृदा घटकों को लिखें।
उत्तर- मृदा, चट्टानें, वर्षा, हवा, ताप के बीच पारस्परिक क्रिया के द्वारा बनती है। हवा तथा ताप परिवर्तन के प्रभाव से चट्टानें छोटी-छोटी टुकड़ों में टूटकर पाउडर के रूप में हो जाती है तथा मृदा का निर्माण करती हैं।
9. प्लास्टिक के दो दुष्परिणामों का उल्लेख करें।
उत्तर- प्लास्टिक प्रदूषण पृथ्वी को विभिन्न तरीकों से प्रभावित कर रहा है। सबसे पहले, यह हमारे पानी को प्रदूषित कर रहा है। इससे स्वच्छ पानी की कमी हो जाती है और इस प्रकार हम सभी के लिए पर्याप्त आपूर्ति नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा, यह हमारी मिट्टी और भूमि को भी बर्बाद कर रहा है।
10. दो संरक्षित जैव मण्डलों के नाम लिखें।
उत्तर- भारत में दो संरक्षित जैव मंडल ये रहे: नीलगिरि संरक्षित जैविक क्षेत्र, सुंदरवन जैवमंडल रिजर्व
11. स्पेशीज विविधता क्या है ?
उत्तर- एक पारिस्थितिक तंत्र में विभिन्न जातियों की संख्या तथा उनका आबादी जो वहां रहते हैं, स्पीशीज विविधता कहलाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न / Long Answer Type Questions
प्रश्न संख्या 21 से 26 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं । किन्हीं 3 प्रश्नों के उत्तर दें । प्रत्येक प्रश्न के लिए 5 अंक निर्धारित है :
Question Nos. 21 to 26 are Long Answer Type Questions.Answer any three question. Each question carries 5 marks :
21. को परिभाषित करें। वायु प्रदूषकों का उल्लेख उनके दुष्प्रभावों के साथ करें।
उत्तर- जब हवा में कोई भौतिक, रासायनिक या जैविक बदलाव होता है और उसे दूषित करता है, तो इसे वायु प्रदूषण कहते हैं. वायु प्रदूषण से तात्पर्य है, हवा में ऐसी अवांछित गैसें, धूल के कण, धुआं, कोहरा, धुंध वगैरह की मौजूदगी, जो लोगों और प्रकृति दोनों के लिए खतरे का कारण बनें. वायु प्रदूषण के कुछ प्रमुख दुष्प्रभाव ये हैं:
- वायु प्रदूषण से ओजोन परत का क्षरण हो रहा है और इसमें एक छेद हो गया है. इससे सूरज की हानिकारक UV किरणें पृथ्वी की सतह पर पहुंचती हैं और त्वचा कैंसर हो सकता है.
- वायु प्रदूषण से हृदय संबंधी समस्याएं, एलर्जी, अस्थमा के दौरे, नेत्रश्लेष्मलाशोथ, ब्रोन्कियल रोग, फेफड़े या त्वचा के कैंसर, दृष्टि संबंधी समस्याएं, रक्त और बच्चे के मानसिक विकास में समस्याएं हो सकती हैं.
- वायु प्रदूषण से पौधों और जानवरों को भी नुकसान पहुंचता है.
वायु प्रदूषकों के कुछ उदाहरण: नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), ओजोन (O3), सल्फ़र डाइऑक्साइड (SO2), मीथेन (CH4)
22. ग्रेगर मेण्डल द्वारा मटर के पौधों के साथ किए गए द्विसंकर संकरण को प्रस्तुत करें। इस परिणाम के आधार पर प्रतिपादित नियम का उल्लेख करें।
उत्तर- ग्रेगर मेण्डल द्वारा मटर के पौधों के साथ किए गए द्विसंकर संकरण-द्विसंकर क्रॉस प्रयोग में मेंडल ने दो लक्षणों पर विचार किया, जिनमें से प्रत्येक में दो एलील थे। उन्होंने झुर्रीदार-हरे बीज और गोल-पीले बीजों का संकरण कराया और पाया कि पहली पीढ़ी की सभी संतानें (F1 संतान) गोल-पीली थीं। इसका मतलब यह था कि प्रमुख लक्षण गोल आकार और पीला रंग थे। इसके बाद उन्होंने F1 संतति का स्व-परागण किया और 4 अलग-अलग गुण प्राप्त किए: गोल-पीले, गोल-हरे, झुर्रीदार-पीले, और झुर्रीदार-हरे बीज, जिनका अनुपात 9:3:3:1 था।
मेंडल के नियम:
- प्रभुत्व का नियम: इसके अनुसार, संकर संतानों को केवल फेनोटाइप में प्रमुख लक्षण ही विरासत में मिलेंगे। जो एलील दबे होते हैं उन्हें अप्रभावी लक्षण कहते हैं जबकि जो एलील लक्षण निर्धारित करते हैं उन्हें प्रमुख लक्षण कहते हैं।
- स्वतंत्र वर्गीकरण का नियम: यह बताता है कि युग्मक निर्माण के दौरान लक्षणों की एक जोड़ी दूसरे जोड़े से स्वतंत्र रूप से अलग हो जाती है। चूंकि व्यक्तिगत आनुवंशिकता कारक स्वतंत्र रूप से वर्गीकृत होते हैं, इसलिए विभिन्न लक्षणों को एक साथ होने का समान अवसर मिलता है।
- पृथक्करण का नियम: यह बताता है कि युग्मकों के निर्माण के दौरान, प्रत्येक आनुवंशिक कारक की दो प्रतियाँ अलग हो जाती हैं, ताकि संतान प्रत्येक माता-पिता से एक कारक प्राप्त कर सके। दूसरे शब्दों में, युग्मक के निर्माण के दौरान एलील (जीन का वैकल्पिक रूप) जोड़े अलग हो जाते हैं और निषेचन के दौरान यादृच्छिक रूप से फिर से जुड़ जाते हैं।
23. मधुमक्खी पालन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर- शहद के उत्पादन के लिए मधुमक्खियों के छत्तों का रखरखाव ही मधुमक्खी पालन अथवा मौन पालन हैं शहद के उच्च पोषक मान तथा इसके औषधीय महत्त्व के कारण मधुमक्खी पालन का हमारे दैनिक जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह प्राचीन काल से चला आ रहा एक कुटीर उद्योग है। शहद उच्च पोषक महत्त्व का एक आहार है तथा औषधियों की देशी प्रणाली में भी इसका प्रयोग किया जाता है। मधुमक्खियाँ मोम भी पैदा करती है जिसका कांतिवर्द्धक वस्तुओं की तैयारी तथा विभिन्न प्रकार के पालिक वाले उद्योगों में प्रयोग किया जाता है। शहद की बढ़ती हुई माँग ने मस्त्रियों को बड़े पैमाने पर पालने के लिए बाध्य किया है। यह उद्योग एक आयजनक व्यवसाय बनता है।
मधुमक्खियों हमारी बहुत सी फसलों जैसे-सूर्यमुखी, सरसो, सेब तथा नाशपाती के लिए परागणक है। पुष्पीकरण के समय यदि उइनके छत्तों को खेतों के बीच रख दिया जाए तो इससे पौधों की परागण क्षमता बढ़ जाती है और इस प्रकार फसल तथा शहद दोनों के उत्पादन में सुधार हो जाता है।
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