परीक्षा में सफलता पाने का सबसे आसान तरीका | रैंक -1 लाने का शानदार रणनीति

परीक्षा में सफलता पाने का सबसे आसान तरीका | रैंक -1 लाने का शानदार रणनीति

परीक्षा में सफलता पाने का सबसे आसान तरीका | रैंक -1 लाने का शानदार रणनीति:-किसी अच्छे संस्थान में एडमिशन का एंट्रेस एग्जाम हो या गवर्नमेंट जॉब के लिए आयोजित होनेवाली प्रतियोगी परीक्षा, अधिकतर परीक्षाएं बहुविकल्पीय पैटर्न पर आधारित होती है. इस पैटर्न पर आयोजित होनेवाली अधिकतर परीक्षाओं में निगेटिव मार्किंग का प्रावधान होता है. जानें, कैसे आप निगेटिव मार्किंग से खुद को बचा कर सफलता के करीब पहुंच सकते हैं.

ह म परीक्षा में सफलता के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन निगेटिव मार्किंग से कैसे बचें इस पर अमूमन कम ही ध्यान दे पाते हैं. कई बार कड़ी मेहनत करने के बाद भी जब परिणाम हमारे अनुकूल नहीं आता, तो हम सोचते हैं कि आखिर कहां चूक हुई. ऐसे में सबसे अहम होता है कि हम स्वयं का आकलन करें. आकलन के इस क्रम में बहुत-सी बातों को शामिल करना जरूरी है. मसलन, सिलेबस को कवर करने के लिहाज से पढ़ाई के घंटे पर्याप्त हैं या नहीं, प्रश्नों को हल करने की गति परीक्षा के लिए तय अवधि के अनुकूल है कि नहीं. साथ ही अगर परीक्षा में निगेटिव मार्किंग का प्रावधान है, तो इस पर भी जरूर गौर करें. निगेटिव मार्किंग से बचने के लिए कुछ बातें बेहद जरूरी हैं

सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि निगेटिव मार्किंग के पीछे परीक्षक का मकसद क्या होता है. जेईई, नीट, गेट या कैट, एएफकैट जैसी परीक्षाओं में परीक्षक हमेशा उन अभ्यर्थियों को छांटना चाहते हैं, जिनमें आवश्यक ज्ञान और आत्मविश्वास की कमी होती है. इसलिए प्रश्न इस तरह से तैयार किये जाते हैं, जो आसानी से अभ्यर्थी की समझ का परीक्षण कर सकें. जरूरी है परीक्षा में शामिल होने से पहले अभ्यर्थी को इसके बारे में यानी निगेटिव मार्किंग से बचने के रास्तों के बारे में अच्छे से पता हो.

चीजें हमेशा आपके अनुकूल हों, ऐसा जरूरी नहीं, खासतौर पर परीक्षा के दौरान. कई बार ऐसे प्रश्न सामने होते हैं, जिनसे बुद्धिमानी के साथ निपटने के तरीके के बारे में आपको पता होना चाहिए, यह बुद्धिमानी आपको प्रश्नों को हल करने के अभ्यास से हासिल होगी. इसके लिए मॉक टेस्ट प्रैक्टिस भी बहुत उपयोगी है. यह गलतियां करने की संभावनाओं को भी समाप्त करती है और निगेटिव मार्किंग से बचाती है.

कई बार अभ्यर्थी तनाव या अतिआत्मविश्वास के कारण आसान सवाल का भी गलत जवाब दे देते हैं. यह गलती आपको नकारात्मक अंकन की ओर ले जाती है. इसलिए प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित करना और समय का प्रबंधन करना बहुत महत्वपूर्ण है. इसके साथ ही जवाब देने की हड़बड़ी के बजाय प्रत्येक प्रश्न के साथ उनके विकल्पों को भी अच्छे से पढ़ें. प्रश्नपत्र प्राप्त करने के बाद समझदारी और धैर्य से प्रश्न और उनके विकल्प देखें, आप पायेंगे कि कई प्रश्न बहुत आसान हैं. पहले आसान प्रश्नों के जवाब दें, इसके बाद कठिन सवालों को हल करें.

हमेशा हाई स्कोर हासिल करने के पीछे भागने के बजाय आत्मविश्वास से सवालों के जवाब देने का लक्ष्य रखना चाहिए. यह लक्ष्य परीक्षा में शामिल हर क्षेत्र का नॉलेज बढ़ाने से ही पूरा हो सकता है. इससे बड़े पैमाने पर गलत उत्तर देने के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है. यदि आप जवाब को लेकर पूरी तरह सुनिश्चित नहीं हैं, तो सभी प्रश्नों को हल करने की लालसा कभी न करें, बहुत कम लोग हैं, जो पूर्ण स्कोर प्राप्त करने में सफल होते हैं. क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं, जहां रैंक की बड़ी भूमिका होती है, में एक अंक खोना भी एक बड़ा सौदा है. याद रखें कि लाखों उम्मीदवार होंगे, जो जवाब देने पर भाग्य पर भरोसा करेंगे, लेकिन बुद्धिमान लोग अपने ज्ञान पर निर्भर होंगे.

कम स्कोर करने के डर से, बहुत से अभ्यर्थी परीक्षा के आखिरी मिनट में सवालों का जवाब देने का प्रयास करते हैं. इस वजह से कई बार सही जवाब पता होने पर भी बहुत से सवाल छूट जाते हैं. इसके साथ ही समय कम होने के तनाव के चलते अभ्यर्थी कई बार गलत जवाब भी दे देते हैं. जबिक परीक्षा के अंतिम मिनट का हमेशा संशोधन के लिए उपयोग किया जाना चाहिए. किसी भी परीक्षा में सफलता के लिहाज से और निगेटिव मार्किंग से बचने के लिए भी टाइम मैनेजमेंट बहुत महत्वपूर्ण है. सेक्शन एक से ही सवालों को हल करना शुरू करें, यह आपको जल्दबाजी के चलते होनेवाली गलतियों से भी बचायेगा.

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