जीने की राह होगा आसान – कम उम्र में मिलेगी सफलता- Golden Rule:-यदि आप कर्म पर गंभीरता से गौर करेंगे तो ऐसा विश्वव्यापी नजरिया देख पाएंगे, जिसे मात्र पूर्व का अध्यात्म नहीं कहा जा सकता है। हमारे कर्म, हमारे अंतर्मन या चेतन मन से बहुत गहरे से जुड़े हैं। और कुछ नया गढ़ने के लिए चेतना का होना बहुत जरूरी है।
अपने कर्मों को बनाएं बेहतर
अब जाकर कर्म शब्द ने अंग्रेजी भाषा में अपनी पैठ बनाने वाले संस्कृत के कुछ शब्दों में अपनी जगह बना ली है। हालांकि, आध्यात्मिक संदर्भ में कर्म की जटिलताओं को पूरी तरह समझने में पश्चिमी सभ्यता को अभी भी एक बड़ी दूरी तय करनी है। उनकी समझ की सीमा अच्छे और बुरे कर्मों तक ही पहुंच सकी है। मोटे तौर पर कर्म को इस तरह समझा गया है, ‘जैसा बोओगे, वैसा पाओगे’।
विश्वव्यापी नजरिया देख पाएंगे
लेकिन यदि आप कर्म पर गंभीरता से गौर करेंगे तो ऐसा विश्वव्यापी नजरिया देख पाएंगे, जिसे मात्र पूर्वी अध्यात्म नहीं कहा जा सकता है। इस दुनिया में चेतना के मूल नियम सिर्फ भारतीय सिद्धांतों पर आधारित नहीं हैं। बल्कि, इसकी संभावना समूचे ब्रह्मांड में मौजूद है। इसके लिए प्रकृति के प्रत्येक स्तर का जागरूक होना जरूरी है।
मुख्यतौर पर निम्नलिखित सिद्धांतों के द्वारा कर्म की व्याख्या की जा सकती है-
- आपका अस्तित्व आपके हाथ में है।
- आपके विकास को अनजान शक्तियां प्रेरित करती हैं। चेतना के भीतर अपार संभावनाएं हैं।
- अस्तित्व के मूल में चेतना का परमानंद छिपा है।
- जागरूकता के प्रकाश को सहेजना संभव है।
- जीवन का एक मकसद है, जो परम चेतना के तहत एक विशाल योजना से जुड़ा है।
- आपके भीतर असीम योग्यता है। सर्वश्रेष्ठ जीवन, स्व धर्म यानी स्वयं के प्रति ईमानदार रहते हुए जीना है।
अपनी चेतना के उच्च्च स्तर से है
स्वयं के प्रति ईमानदारी से मेरा आशय वैदिक परिपेक्ष्य में अपनी चेतना के उच्च्च स्तर से है। हमारा वो अस्तित्व, जो बदलता नहीं है। यह सर्वोच्च स्वयं हमारे साथ संपर्क स्थापित करना चाहता है। इसी प्रक्रिया से लोगों का विकास होता है। उन्हें जीवन का मूल उद्देश्य पता चल पाता है।
मार्ग में कर्म सबसे बड़ा बाधक है।
अपने वास्तविक स्वयं को सुनने के मार्ग में कर्म सबसे बड़ा बाधक है। हमारी स्मृतियां हमारी चेतना का एक अभिन्न हिस्सा हैं। आपके पूर्व कर्मों की यादें आपके जन्म के साथ ही जुड़ जाती हैं। कर्म के सिद्धांत के अनुसार यही
एक विजेता की यात्रा
- ■’अपने स्वयं में बने रहना बहुत खास है।’ इस सूक्ति में जीवन का उद्देश्य जानने के लिए अपने मूल रूप में रहने का महत्व बताया गया है।
- ■ ‘आपका सुरक्षित स्थान वह है, जहां आप बार-बार स्वयं को खोज सकते हैं।’ अर्थात स्वयं का आकलन करते रहना बहुत आवश्यक है ताकि अपने अस्तित्व के वास्तविक उद्देश्य को पहचाना जा सके।
- ■ ‘बेहतर जीवन के लिए उस जीवन का मोह त्यागना जरूरी है, जिसकी आपने रणनीति बनाई थी।’ यानी बदलाव का स्वागत करना चाहिए, क्योंकि जरूरी नहीं जो मार्ग आपने चुना, वही सच्चा मार्ग हो।
- ■ ‘जीवन का उद्देश्य अपनी धड़कनों की लय को ब्रह्मांड से मिलाना और प्रकृति के साथ अपनी प्रकृति को मिलाना है।’ यहां सर्वोच्च शक्ति के साथ अपने स्वयं को तालबद्ध करने के विषय में बताया गया है।
- ■ ‘यदि आपके सामने बिलकुल सीधा और सरल रास्ता है तो समझ जाएं कि यह आपका वास्तविक मार्ग नहीं है। अपना मार्ग आप अपने प्रत्येक कदम से खुद बनाते हैं।’
बेशक हम कर्म शब्द का इस्तेमाल न करें
पूर्व कर्म बड़े होने के साथ-साथ आपके जीवन की दिशा तय करते हैं। बेशक हम कर्म शब्द का इस्तेमाल न करें, लेकिन चेतना आधारित दुनिया का यह महत्वपूर्ण हिस्सा है। हम आज जो कर रहे हैं, वह कहीं न कहीं जन्म के बाद से जो हम करते आए हैं, उससे जुड़ा है। कर्मों की एक निश्चित शैली होती है, जिसके आधार पर आदतें बनती हैं। आदतें वो यादें हैं, जिन्हें न छोड़ा जा सकता और न ही
Karma हम छोड़ना चाहते हैं। बुरी आदतों को छोड़ना सरल नहीं, पर बुरे कर्मों को छोड़ना और कठिन है। क्योंकि कर्म हमारे साथ उस गूढ़ स्तर पर जुड़े हैं, जहां हमारे पूर्व संस्कार हमारे व्यवहार को तय करते हैं।
भारतीय परंपरा में धर्म के माध्यम से ऐसा संभव है
सवाल यह है कि कर्मों को बेहतर कैसे बनाया जाए? भारतीय परंपरा में धर्म के माध्यम से ऐसा संभव है। इसका अर्थ है आगे बढ़ना। हमारी जागरूकता में चेतना की स्थापना बेहतर और आदर्श जीवन के लिए की गई है। यदि आप धर्म के अनुसार चलते हैं तो पिछले खराब कर्मों के बावजूद अनजानी शक्तियां आपकी मदद करती हैं। जोसफ कैम्बेल ने भी कहा भी है, ‘अपने परमानंद का अनुसरण करो।’ ऐसा करके आप उस करुण पथ पर आगे बढ़ने लगते हैं, जो हमेशा से आपकी प्रतीक्षा कर रहा है। आप वह जीवन जीने लगते हैं, जो असल में जीना चाहिए।’
पत्ते से सीख
गंगा नदी के किनारे पीपल का एक पेड़ था। पहाड़ों से उतरती गंगा पूरे वेग से बह रही थी कि अचानक पेड़ से दो पत्ते नदी में
आ गिरे। एक पत्ता अड़ गया, कहने लगा, ‘आज चाहे जो हो जाए, मैं इस नदी को रोक कर ही रहूंगा। चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाए, मैं इसे आगे नहीं बढ़ने दूंगा।’ वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा, ‘रुक जा गंगा, अब तू और आगे नहीं बढ़ सकती। मैं तुझे यहीं रोक दूंगा।’
परंतु नदी बढ़ती ही जा रही थी। उसे तो पता भी नहीं था कि कोई पत्ता उसे रोकने की कोशिश कर रहा है। पत्ते की तो जान पर बन आई थी.. वो लगातार संघर्ष कर रहा था, नहीं जानता था कि बिना लड़े भी वहीं पहुंचेगा, जहां लड़कर.. थककर.. हारकर पहुंचेगा।
तुझे सागर तक पहुंचाक दम लूंगा
दूसरा पत्ता नदी के प्रवाह के साथ ही बड़े मजे से बहता चला जा रहा था। यह कहता हुआ कि ‘चल गंगा, आज मैं तुझे तेरे गंतव्य तक पहुंचा के ही दम लूंगा। चाहे जो हो जाए में तेरे मार्ग में कोई में कोई बाधा नहीं आने दूंगा, तुझे सागर तक पहुंचाक दम लूंगा।’ नदी को इस पत्ते का भी कुछ पता नहीं था। वह तो अपनी ही धुन में सागर की ओर बढ़ती जा रही थी। पर पत्ता तो आनंदित है, वह यही समझ रहा है कि वही नदी को अपने साथ बहाए ले जा रहा है।
पहले पत्ते की तरह दूसरा पत्ता भी नहीं जानता था कि चाहे वो नदी का साथ दे या नहीं, नदी तो वहीं पहुंचेगी, जहां उसे पहुंचना है। जो पत्ता नदी से लड़ रहा है, उसे रोक रहा है, उसकी जीत का कोई उपाय संभव नहीं है, और जो पत्ता नदी को बहाए जा रहा है, उसकी हार का कोई उपाय संभव नहीं है। यही जीवन में होता है। अपने जीवन में आने वाली हर अच्छी- बुरी परिस्थितियों में खुश हो कर जीवन की बहती धारा के साथ बहते चले जाएं तो यात्रा को सुखपूर्वक बिताया जा सकता है।
बनाएं ऊर्जा का संतुलन
हम अगर यह समझ जाएं कि हमारी ऊर्जा की खपत कहां और किस वजहसे हो रही है तो अपनी आदतों में छोटे-छोटे सुधार करके ही जीवन में बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के ब्लॉग पर दिए एक लेख में फ्रैसेस्का ज्यूलिया और जेनिफर जोर्डन छोटी आदतों की ताकत पर बड़ा जोर देती हैं। लेखिकाओं के अनुसार, हमारी ऊर्जा की पांच प्रमुख बैटरीज हैंः शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक और सामाजिक। जब आप जान जाते हैं कि किस बैटरी की क्षमता घट रही है और क्यों? तब आप छोटी-छोटी आदतों की मदद से अपनी ऊर्जा को रीचार्ज करने में कामयाब हो जाते हैं।
एक बार जब आप इन पांच को बारीकी से समझ जाते हैं
रोजमर्रा में अपनी ऊर्जा की सही ढंग से खपत करना, जीवन को व्यवस्थित करने में एक बड़ी ताकत है, जो चुनौतियों के बीच भी हमें अपने लक्ष्यों और कामों को जारी रखने में मदद करती है। लेख के अनुसार, यह पांच तरह की बैटरी एक-दूसरे पर भी अपना असर डालती हैं। एक बार जब आप इन पांच को बारीकी से समझ जाते हैं, तो आप सोच पाते हैं कि मेरी ऊर्जा कहां बेकार हो रही है और कौन- सी आदतें मेरी बैटरी को ठीक रखने में मदद करती हैं।
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