प्रश्न जरूर याद कर लो

कक्षा 10वीं सांइस के प्रश्न जरूर याद कर लो – इस साल परीक्षा में पुछे जाएंगे

कक्षा 10वीं सांइस के प्रश्न जरूर याद कर लो –इस साल परीक्षा में पुछे जाएंगे

चुम्बक

  • सामान्यत: लौह वस्तुओं को आकर्षित करने का गुण चुम्बकत्व कहलाता है तथा जिस वस्तु में यह गुण पाया जाता है उसे चुम्बक कहते हैं।
  • आकार के आधार पर चुम्बक के प्रकार छड़ चुम्बक, नाल चुम्बक, वलय चुम्बक
  • चुम्बक के सिरे के निकट का वह बिन्दु जहाँ चुम्बक का आकर्षण बल अधिकतम होता है, ध्रुव कहलाता है।
  • स्वतंत्रतापूर्वक लटकाने पर चुम्बक का जो ध्रुव उत्तर दिशा की ओर हो जाता है वह उत्तर ध्रुव तथा जो ध्रुव दक्षिण दिशा की ओर हो जाता है वह दक्षिण ध्रुव कहलाता है।
  • चुम्बक के उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव को मिलनेवाली रेखा को चुम्बकीय अक्ष कहते हैं।
    किसी छड़ चुम्बक के दोनों ध्रुवों के बीच की न्यूनतम दूरी को चुम्बक की चुम्बकीय लम्बाई कहा जाता है। यह चुम्बक के ज्यामितीय लम्बाई का करीब 84% होता है।
    चुम्बकीय ध्रुव की प्रबलता की इकाई एम्पीयर मीटर होती है।
  • किसी चुम्बक के एक ध्रुव की प्रबलता और चुम्बकीय लम्बाई के गुणनफल को चुम्बकीय आघूर्ण कहा जाता है।
  • वैसे पदार्थ जो चुम्बक से आकर्षित हो चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं जैसे लोहा, निकेल, कोबाल्ट ।
  • वैसे पदार्थ जो चुम्बक से आकर्षित नहीं होते हैं अचुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं जैसे लकड़ी, रबर,प्लास्टिक, कोयला आदि ।
  • दिशा पता लगाने वाले यंत्र को दिक्सूचक कहा जाता है।
  • चुम्बक या धारावाही चालक अपने चारो ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है।
  • चुम्बकीय क्षेत्र को चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं द्वारा दर्शाया जाता हैं ।
  • चुम्बकीय बल रेखाएँ एक दूसरे को नहीं काटती हैं
  • बल रेखा के किसी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर उस क्षेत्र की दिशा बताती है।
  • ध्रुवों के समीप क्षेत्र-रेखाएँ घनी होती है। ध्रुवों से दूरी बढ़ाने के साथ उनका घनत्व घटता जाता है।
  • क्षेत्र-रेखाओं की निकटता चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता का घोतक है।
  • क्षेत्र-रेखाएँ चुम्बक के बाहर N सेS की तरफ और चुम्बक के अन्दर S से N की तरफ होती है।
  • चुम्बकीय क्षेत्र के मापन का इकाई न्यूटन / एम्पियर मीटर है, जिसे टेसला भी कहते हैं।
  • मैक्सवेल का दक्षिण-हस्त नियम यदि धारावाही तार को दाएँ हाथ की मुट्ठी में इस प्रकार पकड़ा जाए कि अँगुठा धारा की दिशा की ओर संकेत करता हो, तो हाथ की अन्य अँगुलियों का मुड़ाव चुम्बकीय क्षेत्र
  • की दिशा व्यक्त करेंगी ।
  • सीधी धारा के कारण चुम्बकीय बल-रेखाएँ वृत्ताकार होती हैं।
  • विद्युतरोधी चालक तार की बेलनाकार अनेक फेरों वाली कुंडली को परिनालिका कहते हैं।
  • फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम- यदि बाएँ हाथ का अंगूठा, तर्जनी और मध्यमा को परस्पर लम्बवत रखा जाए तो तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा व्यक्त करे और अंगूठा गति की दिशा में हो तो मध्यमा प्रेरित धारा की दिशा का संकेत करेगी ।
  • विद्युत जनित्र एक ऐसा यंत्र है जिसके द्वारा यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
  • विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है। किसी कुंडली और चुम्बक के बीच जब आपेक्षिक गति होती है तब कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित होती
  • है, इस प्रभाव को विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं।
  • हमारे घरों में विद्युत आपूर्ति 220V होती है जिसकी आवृत्ति 50 हर्ट्ज होती है अर्थात् इसकी (polarity) ध्रुवता प्रति सेकण्ड में 100 बार परिवर्तित होती है।
  • फ्यूज तार का ऐसा टुकड़ा होता है जिसके पदार्थ की प्रतिरोधकता (resistivity) बहुत अधिक तथा गलनांक (melting point) बहुत कम होता है।

कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। सूर्य ऊर्जा का अंततः स्रोत है।

  • हम जिन विशिष्ट स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं उन्हें हम ऊर्जा का स्रोत कहते हैं। ऊर्जा का उत्तम स्रोत वह होता जो प्रति इकाई आयतन अथवा प्रति इकाई द्रव्यमान अधिक कार्य करता हो ।
  • ऐसे पदार्थ जो दहन के पश्चात ऊष्मा उत्पन्न करती है ईंधन कहलाती है।
    ऊर्जा की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ऊर्जा के नए स्रोतों को खोजने की आवश्यकता है, क्योंकि जीवाश्म ईंधनों (लकड़ी, कोयला तथा पेट्रोलियम) जैसे परम्परागत स्रोतों के शीघ्र समाप्त होने का खतरा बना हुआ है।
  • ऊर्जा स्रोत का चुनाव निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है (1) सोत से ऊर्जा निष्कर्षण की सुगमता (2) कीमत (लागत) (3) उपलब्ध प्रौद्योगिकी की दक्षता (4) स्रोत के उपयोग का पर्यावरण पर प्रभाव ।
  • करोड़ों वर्षों तक पृथ्वी की सतह में दबे हुए पौधे और पशुओं के अवशेषों द्वारा जीवाश्म ईंधन (fossil fuel)
    बने हैं। यह ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं।
    . ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोत निम्न है: (1) सौर ऊर्जा (2) सागर से ऊर्जा (ज्वारीय ऊर्जा) (तरंग ऊर्जा) (3) मूऊष्मीय ऊर्जा (4) नाभिकीय ऊर्जा ।
  • ऊर्जा के परंपरागत स्रोत निम्न हैं (1) जीवाश्म ईंधन (2) जल शक्ति संयंत्र (3) पवन ऊर्जा ।
  • तापीय शक्ति संयत्र में ऊ मा उत्पन्न करने के लिए ईंधन को जलाया जाता है तथा ऊष्मीय वाष्प से टरबाईन चलाकर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण से विद्युत ऊर्जा में बदल जाती है।
  • जल शक्ति संयंत्र गिरते हुए पानी का स्थितिज ऊर्जा को गतिज ऊर्जा में बदलकर प्राप्त ऊर्जा से टरबाईन
    चलाकर विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है।
  • जीव द्रव्यमान, पवन, महासागर तापीय ऊर्जा आदि अनेक ऊर्जा स्रोत अपनी ऊर्जा अंततः सूर्य से ही प्राप्त करते हैं।
  • सोलर कुकर में अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है। सौर सेल बनाने के लिए अर्द्धचालक सिलिकॉन का प्रयोग किया जाता है।
  • बायोगैस का मुख्य अवयव मिथेन है जिसकी उपस्थिति लगभग 75% है।

अनवीकरणीय स्रोत वैसे स्रोत जिसकी आपूर्ति सीमित हो तथा समाप्त होने की संभावना हो, अनवीकरणीय स्रोत कहलाते हैं जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस आदि

नवीकरणीय श्रोत :- वैसे स्रोत जिनकी आपूत्ति सीमित है तथा जो हमारे द्वारा उत्पन्न किए जा सकते है, नवीकरणीय श्रोत कहलाते है। जैसे सूर्य, पवन, बहता हुआ पानी आदि ।

नाभिकीय संलयन :- इसमें दो हल्के नाभिक परस्पर संलयित होकर एक भारी नाभिक का निर्माण करते है। उपयोग- सौर ऊर्जा का मुख्य स्रोत ।

नाभिकीय विखंडन :- इसमें एक भारी नाभिक टूटकर दो हल्के नामिकों में परिवर्तित हो जाते हैं। उपयोग परमाणु बम में

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