इंटर की पढ़ाई – बड़ा बदलाव- राज्य के कॉलेजों में अब इंटर की पढ़ाई पर राज्य सरकार के द्वारा रोक लगा दी गयी है। कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई 1 अप्रैल से बंद हो जाएगी। बुधवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई। इससे राज्य के कॉलेजों पर से एक बड़ा बोझ हटेगा, जो उच्च शिक्षा को बेहतर करेगा।
शिक्षकों पर बोझ घटेगा तो पढ़ाई होगी बेहतर
कॉलेजों के शिक्षकों से बोझ कम होगा तो स्नातक व स्नातकोत्तर में पठन-पाठन अधिक बेहतर होगी। चूंकि अब कॉलेजों में पढ़ाई नहीं होगी, परीक्षाएं भी कॉलेजों में नहीं होंगी और इससे कॉलेजों की पढ़ाई में व्यवधान नहीं पड़ेगा। कॉलेजों में अब नई शिक्षा नीति के तहत च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू कर दिया गया है।
कॉलेजों से बेहतर पढ़ाई इंटर में करा सकती है।
वार्षिक परीक्षा की जगह अब कॉलेजों में सेमेस्टर सिस्टम के तहत साल में दो परीक्षा और चार इंटर्नल परीक्षाएं होती हैं। यह सब सुचारू रूप से होंगे तो इससे कॉलेजों में सत्र नियमित हो सकेगा। दूसरी तरफ स्कूलों के लिए यह परीक्षा की घड़ी है। उसे साबित करना होगा कि वह कॉलेजों से बेहतर पढ़ाई इंटर में करा सकती है।
राज्य में 67961 शिक्षकों
राज्य-में 67961 शिक्षकों की प्लस टू में बहाली हुई है जो मोर्चा संभालेंगे। लेकिन साथ ही इतनी बड़ी संख्या में जो छात्र स्कूलों में आयेंगे तो इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे लैब लाइब्रेरी, क्लासरूम व अन्य जरूरी सुविधाओं को पहले से बेहतर करना होगा।
राज्य के कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई एक अप्रैल से बंद होगी
राजधानी में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में इंटर में 20 हजार से अधिक छात्र पढ़ते थे, जो अब 423 सरकारी स्कूलों में समायोजित होंगे। राजधानी में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में 20 हजार से अधिक छात्र इंटर में हर वर्ष नामांकन लेते हैं। दो वर्षों की संख्या को मिला लें तो चालीस हजार छात्र एक समय में पढ़ाई करते हैं। इसी तरह का हाल कम या ज्यादा राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों में भी है। अब अप्रैल माह से ये छात्र स्कूलों में ही पढ़ेंगे। एक बैच से शुरुआत होगी। एक बैच अभी कॉलेज में रहेगा। अगली बोर्ड परीक्षा के बाद कॉलेज में एक भी इंटर के छात्र नहीं रह जाएंगे।
सवाल – जवाब
क्या इतने छात्रों के लिए स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर की पूरी व्यवस्था है? क्या गुणवत्ता पर प्रभाव नहीं पड़ेगा ?
जवाब 1
इंद्रप्रस्थ गंगस्थली बालिका उच्च विद्यालय के प्राचार्य विनय कुमार नवीन ने बताया कि शिक्षकों की बहाली हो चुकी है और स्कूलों में प्लस टू में जो सीटें खाली थीं, वह अव भर जाएंगी। नए नियुक्त शिक्षक बच्चों को पढ़ाएंगे तो गुणवत्ता पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
जवाब 2
जिला शिक्षा पदाधिकारी अमित कुमार ने कहा कि ये छात्र जिले के 423 स्कूलों में समायोजित हो जाएंगे। पंचायत स्तर के माध्यमिक विद्यालय को उच्च माध्यमिक में पहले ही तब्दील कर दिया गया है। इससे स्कूलों में पर्याप्त सीटें भी रहेंगी, शिक्षक भी हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर भी बेहतर हुआ है, उसे और भी बेहतर करने को लेकर योजनाएं चल रही हैं।
2006 में पीयू में सबसे पहले बंद हुई थी इंटर की पढ़ाई
वैसे भी विश्वविद्यालय अधिनियम में इंटर की पढ़ाई का प्रावधान नहीं है, लेकिन स्कूलों में प्लस टू की पढ़ाई की उचित व्यवस्था न होने और शिक्षकों की कमी की वजह से कॉलेजों में पढ़ाई कराई जाती थी। पटना विश्वविद्यालय में यह 2006 में ही कर दिया गया था और तब से यह मामला पेंडिंग था, जिसे वर्तमान में शिक्षा विभाग ने संज्ञान में लेते हुए इसे क्रियांवित कर दिया। इस निर्णय का स्कूलों और कॉलेजों दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हालांकि गुणवत्ता के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को और बेहतर करना होगा। नए नियुक्त शिक्षकों पर भी गुणवत्ता का सारा दारोमदार है। गुणवत्ता में सुधार होगा या बिगाड़ यह आगामी बिहार बोर्ड के इंटर रिजल्ट के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल इस निर्णय से स्कूल और कॉलेज दोनों ही काफी संतुष्ट हैं।
कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई पर रोक का कॉलेज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा
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